राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- चार राज्यों के बिल राज्यपालों ने रोके, राष्ट्रपति ने मिलने का समय नहीं दिया

गहलोत ने कहा कि कांग्रेस शासित चार राज्य सरकारों ने अपने राज्य कृषि विधेयक विधानसभाओं में पारित किए लेकिन उन्हे राज्यपाल रोक कर बैठे हैं। राज्यपाल उन्हे मंजूरी नहीं दे रहे हैं। राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए नहीं भेजे जा रहे हैं।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Wed, 09 Dec 2020 10:19 AM (IST) Updated:Wed, 09 Dec 2020 10:19 AM (IST)
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- चार राज्यों के बिल राज्यपालों ने रोके, राष्ट्रपति ने मिलने का समय नहीं दिया
गहलोत बोले,पूरे देश के किसानों में नाराजगी है।

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केेंद्रीय कृषि कानूनों पर एनडीए सरकार को घेरते हुए कहा कि इनकी सोच लोकतांत्रिक नहीं, बल्कि फासिस्ट है। उन्होंने कहा कि कृषि कानून बनाते समय ना तो विपक्ष से सलाह ली गई और ना ही किसानों से बात की गई। संसद में जिस तरह से आनन-फानन में ये बिल पास कराए गए, उसके कारण यह नौबत आई कि किसान 12 दिन से खुले में ठंड में बैठे हैं।

पूरे देश के किसानों में नाराजगी है। मंगलवार देर रात गहलोत ने कहा कि इन बिलों को संसद की सलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए था, वहां चर्चा होनी चाहिए थी। सलेक्ट कमेटी में चर्चा होती, किसान नेताओं से बात होती तो आज जो हो रहा है वह नौबत नहीं आती।

गहलोत ने कहा कि कांग्रेस शासित चार राज्य सरकारों ने अपने राज्य कृषि विधेयक विधानसभाओं में पारित किए, लेकिन उन्हे राज्यपाल रोक कर बैठे हैं। राज्यपाल उन्हे मंजूरी नहीं दे रहे हैं। राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए नहीं भेजे जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मेरे साथ ही पंजाब, छत्तीसगढ़ व पुडुचेरी के मुख्यमंत्रियों ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा गया,लेकिन राष्ट्रपति भवन से समय नहीं दिया गया। हम कृषि कानून के बारे में राष्ट्रपति को अपनी बात कहना चाहते थे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह किसानों की भावना का सम्मान करे,उन्हे बुलाकर बात करे। बातचीत लोकतंत्र का मूल है। लोकतंत्र में हमेशा बातचीत होनी चाहिए। बातचीत से रास्ता निकलता है। 

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