Pushkar Fair: राजस्थान में इस बार भी नहीं होगा पुष्कर मेला

Pushkar Fair कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए राजस्थान सरकार ने पुष्कर मेला रद करने का निर्णय लिया है। यह मेला 11 से 19 नवंबर तक आयोजित होना था। प्रतिवर्ष पुष्कर मेले के अंतिम दो दिन पशु मेला आयोजित होता है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 06:44 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 06:44 PM (IST)
Pushkar Fair: राजस्थान में इस बार भी नहीं होगा पुष्कर मेला
राजस्थान में इस बार भी नहीं होगा पुष्कर मेला। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। देश-विदेश में विख्यात पुष्कर मेला लगातार दूसरे साल नहीं होगा। कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए राजस्थान सरकार ने पुष्कर मेला रद करने का निर्णय लिया है। यह मेला 11 से 19 नवंबर तक आयोजित होना था। प्रतिवर्ष पुष्कर मेले के अंतिम दो दिन पशु मेला आयोजित होता है। पुष्कर मेला में बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक शामिल होते हैं, लेकिन लगातार तीसरे साल मेला रद होने से पर्यटकों को निराशा होगी। अजमेर जिला कलेक्टर प्रकाश पुरोहित और पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डा. प्रफुल्ल माथुर ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण पुष्कर मेला रद किया गया है। उल्लेखनीय है कि पुष्कर मेला के दौरान पशु मेला भी आयोजित किया जात है। इसमें बड़ी संख्या में देशभर से पशुपालक शामिल होते हैं। यहां बड़ी संख्या में पशुओं की खरीद-फरोख्त होती है। कोरोना महामारी के कारण राज्य में आयोजित होने वाले आधा दर्जन अन्य पशु मेले पहले ही रद किए जा चुके हैं।  

पिछले साल भी राजस्थान में पुष्कर मेला आयोजन पर नहीं हुआ था। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दृष्टिगत राज्य सरकार की गाइडलाइंस के चलते पुष्कर मेला आयोजित नहीं करने के आदेश जारी किए थे। पशुपालन विभाग के संयुक्त शासन सचिव डा विरेन्द्र सिंह ने जिला कलक्टर अजमेर की अनुशंसा पर मेले पर रोक के आदेश जारी किए थे। जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने कहा था कि सरकार की कोविड 19 के तहत अनलाक डाउन की नई गाइड लाइन का अभी इंतजार किया जाना चाहिए। लिहाजा पूर्व में मेले के आयोजन पर संशय था। लगता था कि मेला पुरोहितों के दवाब और मंदिरों में दर्शन के लिए पट खुलने के बाद संभव है सरकार कुछ गाइडलाइन और एडवाइजरी जारी कर मेला आयोजित कराने के आदेश देगी। सरकार के निर्णय से सभी की उम्मीदों पर पानी फिर गया। तीर्थराज पुष्करवासियों को मेले से ही वर्षपर्यंत का जीवन यापन का आर्थिक आधार बनता था। पुष्कर के जनप्रतिनिधियों व्यापारियों और पुरोहितों ने राज्य सरकार के इस निर्णय को गलत बताते हुए इसकी निंदा की। 

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