Rajasthan Political Crisis: प्रियंका गांधी ने कमलनाथ को सौंपा गहलोत व पायलट के बीच मध्यस्था का जिम्मा, 10 माह से नहीं हुई दोनों में मुलाकात
आधे से ज्यादा मंत्रियों में नहीं होती बातचीत राजस्थान में बढ़ रहा कलह और मनमुटाव का दायरा गहलोत व पायलट दोनों के बीच मध्यस्थता करने का जिम्मा अब मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संभाला है। महासचिव प्रियंका गांधी ने कमलनाथ को यह काम सौंपा है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान कांग्रेस में आपसी कलह और मनमुटाव का दायरा बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच विवाद सार्वजनिक है। दोनों के बीच पिछले 10 माह से न तो मुलाकात हुई और न ही फोन पर बात हुई। दोनों के बीच मध्यस्थता करने का जिम्मा अब मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संभाला है। कांग्रेस के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने बताया कि महासचिव प्रियंका गांधी ने कमलनाथ को यह काम सौंपा है। इसी बीच प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने शुक्रवार को कहा कि पायलट कांग्रेस के एसेट और स्टार प्रचारक हैं। मेरी और संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल की उनसे लगातार बात हो रही है।
पायलट की प्रियंका गांधी से मुलाकात नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे पिछले 10 दिन से दिल्ली में नहीं है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों पर काम जारी है। उधर, राज्य में हालात यह है कि आधे से ज्यादा मंत्रियों में आपसी बातचीत नहीं है। मंत्रियों के बीच बातचीत नहीं होने से सरकार का कामकाज प्रभावित हो रहा है। कांग्रेस विधायक खुलकर मंत्रियों पर अनदेखी और भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे है। बढ़ती खींचतान के चलते कभी भी बड़ा राजनीतिक विस्फोट होने की संभावना से नकारा नहीं जा सकता ।
मंत्रियों के बीच बढ़ रहा विवाद
मंत्रियों में एक-दूसरे के काम नहीं करने और अंतर्विभागीय मामलों को लेकर मतभेद है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने मुख्यमंत्री के सामने मंत्रिपरिषद की बैठक में एक-दूसरे को देख लेने की धमकी दी। दोनों के बीच बातचीत बंद है। डोटासरा सरकार में शिक्षामंत्री भी है। कृषि मंत्री लालचंद कटारिया और सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना व चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा और उनके मातहत राज्यमंत्री डॉ.सुभाष गर्ग के बीच अधिकारों को लेकर लंबे समय से कोल्ड वार चल रही है। धारीवाल और खानमंत्री प्रमोद जैन भाया, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद के बीच गृह जिलों में वर्चस्व को लेकर मतभेद है।
परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास व खेल मंत्री अशोक चांदना के धारीवाल के साथ मतभेद हैं। विधायक भरत सिंह कई बार खानमंत्री के खिलाफ सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। विधायक अमिन खान ने विधानसभा में डोटासरा व रघु शर्मा पर विधायकों की अनदेखी का आरोप लगाया था। विधायक हेमाराम चौधरी, वेदप्रकाश सोलंकी, रमेश मीणा, अशोक बैरवा और पी.आर.मीण कई बार मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से घेर चुके हैं ।
अध्यक्ष बोले, फेविकोल का जोड़ है
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा का कहना है कि सत्ता और संगठन के साथ ही मंत्रियों व विधायकों में फेविकोल का जोड़ है। सभी एक साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं। उन्होंने मंत्रियों,विधायकों में आपसी मतभेद से इंकार करते हुए कहा कि गहलोत सरकार पांच साल का कार्यकाल बेहतर तरीके से पूरा करेगी।