कोरोना महामारी के बीच राजस्थान में वन्यजीवों की गणना की तैयारी शुरू, वैक्सीन लगवा चुके कर्मचारी ही गणना में लें पाएंगे भाग

वन्यजीवों की गणना में उन्हीं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी जो वैक्सीन लगवा चुके हैं और उन्हें 72 घंटे पहले आरटीपीसीआर यानी कोरोना की जांच करानी होगी। इस साल बुद्ध पूर्णिमा यानी 26 मई को वाटर हॉल पद्धति से होगी।

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 11:17 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 11:17 AM (IST)
कोरोना महामारी के बीच राजस्थान में वन्यजीवों की गणना की तैयारी शुरू, वैक्सीन लगवा चुके कर्मचारी ही गणना में लें पाएंगे भाग
राजस्थान में वन्यजीवों की गणना की तैयारी शुरू

उदयपुर, संवाद सूत्र। कोरोना महामारी के बीच राजस्थान में वन विभाग ने वन्यजीवों की गणना की तैयारी शुरू कर दी है। इस साल बुद्ध पूर्णिमा यानी 26 मई को वाटर हॉल पद्धति से होगी। वन्यजीवों की गणना में उन्हीं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी, जो वैक्सीन लगवा चुके हैं और उन्हें 72 घंटे पहले आरटीपीसीआर यानी कोरोना की जांच करानी होगी।

मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के तीन राष्ट्रीय उद्यान तथा 26 वन्यजीव अभयारण्यों में वन्यजीवों की गिनती की जाएगी। इनमें रणथंबोर, केवलादेव के अलावा मुकन्दरा हिल्स उद्यान शामिल हैं। जबकि वन्यजीव अभयारणयों में उदयपुर संभाग के सीतामाता, फुलवारी की नाल, जयसमंद, सज्जनगढ़, कुंभलगढ़, भैंसरोडगढ़ तथा बस्सी वन्यजीव अभयारण्य सहित 26 अभयारण्य शामिल है।

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक एमएल मीणा का कहना है कि विभाग ने 26 मई को 24 घंटे की वन्यजीव गणना बुद्ध पूर्णिमा पर कराने का निर्णय लिया है। वन्यजीवों की गणना में वन कर्मियों के साथ गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों को भी अवसर दिया जाएगा। उन्हें भी कोरोना महामारी के तहत तय गाइड लाइन की पालना करनी होगी। एनजीओ के उन्हीं प्रतिनिधियों को वन्यजीव गणना का अवसर मिलेगा, जो वैक्सीन लगवा चुके हो और उन्हें 72 घंटे पहले कोरोना निगेटिव रिपाेर्ट लानी होगी।

जहां पानी पर्याप्त वहां मचान बांधे जाएंगे

वाटर हॉल पद्धति के अनुसार ही वन्यजीव गणना का काम पूरा किया जाएगा। जिस वाटर पाॅइंट्स पर अधिक वन्यजीव आने की संभावना रहेगी, वहां ट्रैप कैमरा लगाए जाएंगे। पानी वाले स्थानों के पास गणना हाेगी। यह माना जाता है कि गर्मी के शुष्क मौसम में सभी वन्यजीव 24 घंटों में पानी पीने किसी वाटर हाॅल पर अवश्य आएंगे। संरक्षित वन क्षेत्र में मौजूद ऐसे सभी पानी वाले स्थानों का पूर्व में ही सर्वे कर लिया जाएगा, जिनका आमतौर वन क्षेत्र में वन्यजीव उपयोग करते हैं। इसके आधार पर ऐसी जगह मचान तैयार किए जाएंगे, जहां से वन्यजीव आसानी से दिख सकें। चौबीस घंटे तक वन्यजीव गणना का काम जारी रहेगा।

इस बार 37 प्रजातियों पर रहेगी नजर

वन्यजीव गणना में इस बार प्रमुख रूप से सैंतीस प्रजाति के वन्यजीवों पर विशेष नजर रहेेगी। इनमें बाघ, बघेरा, तेंदुआ, सियार, गीदड़, जरख, जंगली बिल्ली, मरू बिल्ली, मछुआरा बिल्ली, बिल्ली, लोमड़ी, मरू लोमड़ी, भेड़िया,भालू, बिज्जू छेाटा और बड़ा, कवर बिज्जू, सियागोश पैंगोलिन मांसाहारी वन्यजीवों में जबकि शाकाहारी वन्यजीवों में चीतल, सांभर, काला हिरण, रोजड़ा, चौसिंगा, चिंकारा, जंगली सूअर, सैही, उड़न गिलहरी, लंगूर तथा पक्षियों में गोडावण, सारस, राजगिद्ध, गिद्ध, जंगली मुर्गा, मोर, शिकारी पक्षी के अलावा पानी में रहने वाले जानवरों में घड़ियाल, मगरमच्छ तथा पांडा शामिल हैं।

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