Rajasthan: विधायक को खुश करने की मजबूरी में 274 करोड़ की वसूली स्थगित करने की तैयारी

गहलोत सरकार विधायकों को खुश करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही है।पिछले एक साल के दौरान विधायकों की सिफारिश पर कई ऐसे फैसले लिए गएजिनके कारण सरकार को राजस्व का काफी नुकसान हुआ।अवैध खनन के आरोप में विधायक के बेटे पर 7 साल पहले लगाया गया था जुर्माना

By Priti JhaEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 01:25 PM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 01:25 PM (IST)
Rajasthan: विधायक को खुश करने की मजबूरी में 274 करोड़ की वसूली स्थगित करने की तैयारी
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमख्यमंत्री सचिन पायलट

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी खींचतान का असर अब राज्य सरकार के खजाने पर भी पड़ने लगा है। इस खींचतान के चलते गहलोत सरकार विधायकों को खुश करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही है। पिछले एक साल के दौरान विधायकों की सिफारिश पर कई ऐसे फैसले लिए गए, जिनके कारण सरकार को राजस्व का काफी नुकसान हुआ।

ऐसा ही एक फैसला कांग्रेस विधायक परसराम मोरदिया के बेटे राकेश मोरदिया और उसकी फर्म एग्रीगेट प्राइवेट लिमिटेड से 274 करोड़ रुपये की वसूली को लेकर हाईकोर्ट की डबल बैंच में नहीं जाने का किया गया है। विधायकों को खुश रखने की मजबूरी का ही परिणाम है कि खनन विभाग के अधिकारियों ने मोरदिया पर अवैध खनन का आरोप लगाते हुए इस मामले में हाईकोर्ट की डबल बैंच में अपील कर 274 करोड़ रुपए के राजस्व को वसूलने की बात फाइलों में लिखी।

लेकिन सचिवालय स्तर पर आते ही विभागीय अधिकारियों की सिफारिश को दरकिनार करते हुए हाईकोर्ट की डबल बैंच में अपील नहीं करने का निर्णय लिया गया। खान मंत्री प्रमोद जैन भाया और अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने अपने स्तर पर फैसला कर लिया,जिससे विभागीय अधिकारियों में नाराजगी है ।

यह है मामला

दरअसल, करीब 7 साल पहले 2014 में झुंझुनूं खान विभाग के अभियंता को शिकायत मिली थी कि मोरदिया लंबे समय से अवैध खनन कर रहे हैं। जांच में पाया गया कि खनन पट्टा 367-368/2006 में करीब 31 लाख मैट्रिक टन मार्बल बिना रायल्टी जमा करवाए निकाल लिया गया। स्वीकृत क्षेत्र के अतिरिक्त भी अवैध खनन किया गया। इसके बाद साल, 2012 में फिर खान विभाग की टीम ने जांच की तो अवैध खनन की पुष्टि हुई। उनके खिलाफ 274 करोड़ रूपए का जुर्माना लगा कर वसूली का नोटिस जारी कर दिया गया। हालांकि कुछ ही दिन बाद ही सरकार की बिना अनुमति के खान विभाग के अतिरिक्त निदेशक आर.के.हीरात ने यह जुर्माना अपने स्तर पर ही निरस्त कर दिया ।

जानकारी उच्च स्तर तक पहुंची तो हीरात सहित दो अधिकारियों को निलंबित करने के साथ ही जुर्माना वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इस बीच मोरदिया ने हाईकोर्ट में अपील कर कहा कि उन्हे बिना सुने ही जुर्माना राशि लगा दी गई। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से मोरदिया का पक्ष सुनने के लिए कहा। यह मामला कोर्ट और सरकारी फाइलों में चल ही रहा था कि साल, 2018 में लोकायुक्त ने प्रसंज्ञान ले लिया। लोकायुक्त के प्रसंज्ञान लेते ही विभाग ने एक बार फिर जुर्माना राशि वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी।

मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने जुर्माना राशि वसूले का आदेश निरस्त कर दिया। खान विभाग के अधिकारी लंबे समय से इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट कई डबल बैंच में जाने को लेकर उच्च स्तर तक पत्राचार कर रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों सरकार ने डबल बैंच में अपील नहीं करने का निर्णय कर लिया। इस मामले में मंत्री और अतिरिक्त मुख्य सचिव सरकार के मुख्य अधिवक्ता की राय के बाद ही निर्णय लेने की बात कह रहे हैं।

भाजपा का आरोप, भ्रष्टाचार चरम पर पहुंचा

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया। विधायकों को खुश करने में जुटे सीएम सरकारी खजाने को ही चपत लगाने में जुटे हैं। प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि विधायकों को संतुष्ट करने के लिए मंत्री और चेयरमैन बनाने का प्रलोभन दिया जा रहा है। साथ ही विधायकों के के काले-कारनामों पर पर्दा डालने का काम भी हो रहा है। 

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