राजस्थान के गांवों में बिजली कटौती जारी, वसुंधरा राजे ने कहा- सरकार बिजली प्रबंधन में विफल साबित हुई

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा हमारे कार्यकाल में 24 घंटे बिजली की सप्लाई होती थी। लेकिन गहलोत सरकार बिजली प्रबंधन करने में विफल साबित हुई है। गांवों में बिजली नहीं मिल रही है। रेट बहुत ज्यादा बढ़ा दी गईलेकिन आपूर्ति नहीं की जा रही है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 09:32 AM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 09:32 AM (IST)
राजस्थान के गांवों में बिजली कटौती जारी, वसुंधरा राजे ने कहा- सरकार बिजली प्रबंधन में विफल साबित हुई
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा-राजस्थान में बिजली संकट लगातार जारी है।

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में बिजली संकट लगातार जारी है। शनिवार को 9वें दिन भी कस्बों एवं ग्रामीण इलाकोें में 5 से 7 घंटे की कटौती की गई। कोयले की कमी के कारण कई इकाईयों में शनिवार को भी बिजली उत्पादन बंद रहा। उर्जामंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला और उर्जा सचिव भास्कर सांवत ने लगातार दूसरे दिन केंद्रीय उर्जा व कोयला मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क कर मदद मांगी है। कोल इंडिया के अधिकारियों से भी बात की गई है। कोयला नहीं होने के कारण करीब दो हजार मेगावाट बिजली उत्पादन ठप है। अन्य राज्यों से महंगी दर पर बिजली खरीदनी पड़ रही है।

अधिकारियों के अनुसार सरकारी पॉवर प्लांट्स में प्रतिदिन 15 से 20 रैक कोयले की जरूरत है । लेकिन 14-14 रैक कोयला ही मिल रहा है। वर्तमान में 8,500 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो पा रहा है, वहीं मांग 12,500 मेगावाट की है। अन्य राज्यों से बिजली खरीदने के लिए सरकार को प्रतिदिन 80 करोड़ का अतिरिक्त भार उठाना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार जुलाई और अगस्त माह में राजस्था विधुत उत्पादन कंपनी कोल इंडिया को भुगतान नहीं कर सकी थी । भुगतान नहीं करने के कारण वहां से कोयले की सप्लाई बंद हो गई । ऐसे में बिजलीघरों में कोयले का पर्याप्त स्टॉक नहीं किया जा सका था।

उधर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा, हमारे कार्यकाल में 24 घंटे बिजली की सप्लाई होती थी। लेकिन गहलोत सरकार बिजली प्रबंधन करने में विफल साबित हुई है। गांवों में बिजली नहीं मिल रही है। रेट बहुत ज्यादा बढ़ा दी गई,लेकिन आपूर्ति नहीं की जा रही है। वहीं पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने एक बयान में कहा कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की फंडिंग करने के लिए सरकार बिजली खरीद रही है। खरीद में घोटाला किया जा रहा है। सरकार सस्ती दर पर महंगी खरीदेगी और कागजों में महंगी बताएगी । 

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