चित्तौड़गढ़ जेल में हुई थी प्रदेश की सबसे बड़ी फरारी, भाग निकले थे 23 बंदी, 11 साल बाद भी नहीं मिले छह

जोधपुर जिले के फलौदी उप कारागृह से सोमवार रात सोलह बंदियों के एक साथ फरार होने तथा अभी तक उनमें से एक भी बंदी के पकड़े नहीं जाने का मामला सुर्खियों में है। यह राजस्थान में कई बंदियों के एक साथ फरार होने की पहली घटना नहीं।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 09:04 PM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 09:04 PM (IST)
चित्तौड़गढ़ जेल में हुई थी प्रदेश की सबसे बड़ी फरारी, भाग निकले थे 23 बंदी, 11 साल बाद भी नहीं मिले छह
चित्तौड़गढ़ के जिला कारागृह से भी 23 बंदी एक साथ भाग चुके हैं।

सुभाष शर्मा, उदयपुर। जोधपुर जिले के फलौदी उप कारागृह से सोमवार रात सोलह बंदियों के एक साथ फरार होने तथा अभी तक उनमें से एक भी बंदी के पकड़े नहीं जाने का मामला सुर्खियों में है। यह राजस्थान में कई बंदियों के एक साथ फरार होने की पहली घटना नहीं। इससे पहले उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ के जिला कारागृह से भी 23 बंदी एक साथ भाग चुके हैं। यह घटना फरार कैदियों की संख्या को लेकर अब तक सबसे बड़ी है। ग्यारह साल पुरानी इस घटना के छह बंदी अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं, जिनमें से दो तो इसी जिले के हैंं। 

चित्तौड़गढ़ के जिला कारागृह के लिए साल 2010 का 18 फरवरी बेहद मनहूस दिन रहा। उस दिन इस जेल के कर्मचारियों से बंदियों ने न केवल मारपीट की, बल्कि 23 बंदी भाग निकले। फलौदी की घटना की तरह यह घटना भी पहले से प्रायोजित थी। यहां भी फरार होने वाले बंदियों को ले जाने के लिए पहले से ही एक वाहन तैयार था, जिसमें सवार होकर वह भाग निकले। इसी जेल के पूर्व कर्मचारी ने बताया कि अठारह फरवरी का वह दिन वह नहीं भूल सकते। सुबह के लगभग साढ़े नौ बजे थे और ठेकेदार राशन सामग्री लेकर आया था।

जेल का गेट उसके लिए खोला गया तभी बंदियों ने वहां मौजूद जेलकर्मियों को ही बंदी बना लिया। उनके साथ मारपीट की कई बंदी भाग निकले। बाद में जब हालात पर काबू पाया गया और बंदियों की गिनती की गई तो पता चला कि फरार होने वाले बंदियों की संख्या 23 थी। जांच में चौंकाने वाली जानकारी मिली कि यह घटना पहले से प्रायोजित थी। फरार बंदियों को ले जाने के लिए जेल के बाहर पहले से ही वाहन तैयार था। 

छह फरार बंदियों को नहीं पकड़ पाई पुलिस 

पता चला कि फरार 23 बन्दियों में से 6 अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं, जिनमें से दो चित्तौड़गढ़ जिले से हैं। पिछले 11 सालों में पुलिस पंद्रह बंदियों को गिरफ्तार करने में सफल रही, जबकि मंदसौर के बंदी सुंदरलाल की बीमारी तथा बाड़मेर के बंदी हेमराज जाट की सड़क हादसे में मौत हो गई।

जिन फरार बंदियों को पुलिस अभी तक पकड़ने में असफल रही है, उनमें चित्तौड़गढ़ जिले में बेगूं कस्बे के सलावट मोहल्ला निवासी मोहम्मद असलम, बेगूं के पाड़ावास मोहल्ले का कैलाश पुत्र धन्ना, मध्यप्रदेश के नीमच जिलांतर्गत बघाना थाना क्षेत्र का ईश्वरसिंह, नागौर जिले में गुढ़ा भगवानदास निवासी किशोर जाट, उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के बिसौली निवासी हेतराम सोनी और हरियाणा के मेवात जिला अंतर्गत सिगर—पुन्हाना निवासी अख्तर पुत्र इस्माइल शामिल है।

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