Rajasthan: नागरिकता संशोधन बिल संसद में पास होने पर राजस्थान में पाक विस्थापितों ने किया लोकनृत्य

Pakistan displaced. बाड़मेर में चौहटन के पूर्व विधायक तरुण राय कागा के साथ खुले मैदान में लोग एकत्रित हुए और जमकर जश्न मनाया।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Thu, 12 Dec 2019 02:07 PM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 02:07 PM (IST)
Rajasthan: नागरिकता संशोधन बिल संसद में पास होने पर राजस्थान में पाक विस्थापितों ने किया लोकनृत्य
Rajasthan: नागरिकता संशोधन बिल संसद में पास होने पर राजस्थान में पाक विस्थापितों ने किया लोकनृत्य

जयपुर, जागरण संवाददाता। Pakistan displaced. नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर संसद की मुहर लगने के बाद पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर में विस्थापित परिवारों ने गुरुवार जमकर खुशी मनाई। बाड़मेर जिले के गड़रारोड़, चौहटन एवं जैसलमेर जिले के किशनघाट, अमरसागर, मूलसागर और जोधपुर में पाक विस्थापितों ने एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाई  घने कोहरे के बीच लोगों ने पटाखे चलाकर खुशी का इजहार किया। महिलाओं ने मंगल गीत गाए। पुरुषों ने परंपरागत लोकनृत्य किया।

पाक विस्थापितों के नब्बे फीसद घरों में टेलीविजन की सुविधा नहीं है, मोबाइल भी बहुत कम लोगों के पास है। इस कारण अधिकांश लोगों को गुरुवार सुबह ही राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने की जानकारी मिल सकी। जोधपुर शहर की विस्थापित बस्ती में रह रहे कुछ लोगों ने बुधवार रात को ही पटाखे चलाकर जश्न मनाया। बाड़मेर में चौहटन के पूर्व विधायक तरुण राय कागा के साथ खुले मैदान में लोग गुरुवार को एकत्रित हुए और जमकर जश्न मनाया। यहां लोगों ने "भारत माता की जय, वंदेमातम" के नारे लगाए। तरुण राय कागा खुद पाक विस्थापित हैं। उन्होंने बताया कि 1971 के युद्ध के समय बरसते बमों के बीच वे अपने परिजनों के साथ भारत में आए और फिर बाड़मेर में बस गए। उन्होंने बताया कि 1971 से पहले वे पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहते थे, लेकिन जब दोनों देशों की सेना एक-दूसरे पर बम गिरा रही थी तो हम बचते हुए तीन दिन पैदल चलकर भारत में पहुंचे और यहां आकर बस गए।

कागा उस समय अपनी उम्र 20 साल बताते हैं। उस समय पाक विस्थापितों की मदद करने वाले गडरारोड़ निवासी कोजराज माहेश्वरी के पुत्र नंदलाल माहेश्वरी ने बताया कि 1971 के युद्ध के समय करीब 10 हजार शरणार्थी गड़रारोड़ और आसपास के इलाकों में आकर बस गए। युद्ध खत्म होने के बाद शरणर्थियों को वापस पाकिस्तान भेजने को लेकर भारत सरकार ने प्रक्रिया शुरू की तो पूर्व पीएम स्व.अटल बिहारी वाजपेयी, स्व.विजयाराजे सिंधिया और स्व.भैरोसिंह शेखावत यहां पहुंचे। यहां वे कोजराज माहेश्वरी के घर में दस दिन तक रहे और शरणार्थियों को वापस नहीं भेजने के लिए तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार को तैयार किया।

नरेंद्र मोदी व अमित शाह का अभिनंदन करेंगे

पूर्व विधायक तरुण राय कागा, सवाई सिंह, आनंद सिंह और पाक विस्थापितों के लिए पिछले तीन दशक से काम कर रहे सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने बताया कि वैसे तो पाकिस्थान से विस्थापतों के आने का सिलसिला 1947 से ही शुरू हो गया था। लेकिन 1971 के युद्ध में सबसे अधिक शरणार्थी यहां आए। इसके बाद लगातार 2004, 2007 और 2017 में शरणार्थियों के आने का सिलसिला जारी रहा। पाकिस्थान के सिंध प्रांत के लोगों के साथ रोटी-बेटी का रिश्ता होने के कारण यहां आकर खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। लोगों को यहां पहुंचकर सकून मिलता है।

हिंदू सिंह सोढ़ा ने बताया कि पाक विस्थापितों को नागरिकता का रास्ता साफ होने के बाद यहां रह रहे करीब 25 हजार लोग पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का अभिनंदन करेंगे। उन्होंने बताया कि मंगलवार शाम से ही पाक विस्थापितों में जश्न का माहौल है। गुरुवार को लोगों ने एक साथ एकत्रित होकर भोजन भी किया। सीमांत लोक संगठन के कार्यालय में लोगों स्नेह मिलन का आयोजन किया गया।

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