बंशी पहाड़पुर में अब होगा वैध खनन, राम मंदिर निर्माण के लिए यहीं से भेजा जा रहा है लाल और गुलाबी पत्थर

केंद्र सरकार के तीन दिन पहले खनन की अनुमति देने के बाद अब राज्य सरकार बंशी पहाड़पुर में खनन ब्लॉक तैयार कर निलामी करेगी। बंशी पहाड़पुर से ही अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए गुलाबी और लाल पत्थर भेजा जा रहा है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 11:50 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 12:55 PM (IST)
बंशी पहाड़पुर में अब होगा वैध खनन, राम मंदिर निर्माण के लिए यहीं से भेजा जा रहा है लाल और गुलाबी पत्थर
राम मंदिर निर्माण के लिए यहीं से भेजा जा रहा है लाल और गुलाबी पत्थर

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित बंशी पहाड़पुर में खनने को लेकर केंद्रीय वन,पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय ने खनन की अनुमति दे दी है । बंशी पहाड़पुर से ही अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए गुलाबी और लाल पत्थर भेजा जा रहा है। केंद्र सरकार के तीन दिन पहले खनन की अनुमति देने के बाद अब राज्य सरकार बंशी पहाड़पुर में खनन ब्लॉक तैयार कर निलामी करेगी।

राज्य सरकार में खान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने बताया कि केंद्र सरकार ने बंशी पहाड़पुर क्षेत्र के 398 हैक्टेयर क्षेत्र में डायवर्जन की पहली अनुमति दी है । अब राज्य के खान विभाग द्वारा शीघ्र ही निलामी के लिए ब्लॉक तैयार होंगे और फिर ई-ऑक्शन होगा । यहां करीब 70 ब्लॉक विकसित होने की उम्मीद है । यहां अब तक अवैध रूप से खनन हो रहा था,लेकिन अब वैध खनन होने से सरकार को काफी राजस्व मिलेगा । उल्लेखनीय है कि यहां निकलने वाले पत्थर की पूरे देश में मांग है ।

साल,2016 में इस पहाड़ी को अभ्यारण्य के लिए नोटिफाई कर दिया गया था । लेकिन जहां से पत्थर निकलते हैं वहां न तो जंगल है और न ही जानवर । इसको देखते हुए राज्य सरकार के राजस्व,खनन एवं वन विभाग ने संयुक्त सर्वे करवा कर डिनोटिफाई कराने के लिए केंद्र सरकार को कई बार पत्र लिखे गए थे,जिस पर अब निर्णय हुआ है । यहां निकलने वाले पत्थर की उम्र करीब 5 हजार साल मानी जाती है । अब तक यहां अवैध खनन हो रहा था । लेकिन अब वैध खनन हो सकेगा ।

अवैध खनन पर कई बार खान विभाग और भरतपुर जिला प्रशासन कार्यवाही करता था । उल्लेखनीय है कि बंशी पहाड़पुर से अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए कुल 2.75 लाख घन फीट पत्थर भेजा जाएगा । इसमें से एक लाख घन फीट से अधिक भेजा जा चुका है ।

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