NGT: राजस्थान में एनजीटी ने रीको और स्वायत्त शासन विभाग पर लगाया जुर्माना

NGT एनजीटी ने राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कामन इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट पर जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) नहीं लगाने पर नाराजगी जताते हुए रीको व स्वायत्त शासन विभाग को करीब 31 करोड़ का पर्यावरणीय मुआवजा जमा कराने के निर्देश दिए हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 09:30 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 09:30 PM (IST)
NGT: राजस्थान में एनजीटी ने रीको और स्वायत्त शासन विभाग पर लगाया जुर्माना
एनजीटी ने रीको और स्वायत्त शासन विभाग पर लगाया जुर्माना। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में अलवर जिले के भिवाड़ी में उद्योगों और सीवरेज का पानी बिना ट्रीट किए हरियाणा में छोड़ने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाया है। एनजीटी ने राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन (रीको) के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कामन इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीइटीपी) पर जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) नहीं लगाने पर नाराजगी जताते हुए रीको और स्वायत्त शासन विभाग को करीब 31 करोड़ का पर्यावरणीय मुआवजा केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। स्वायत्त शासन विभाग पर 22.33 करोड़ रुपये, रीको को 6.72 करोड़ और भिवाड़ी नगर पालिका को 1.45 करोड़ का मुआवजा जमा कराना होगा।

भिवाड़ी सीइटीपी में जेडएलडी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 146 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। तीन साल पैसे यह पैसा मिल भी गया, लेकिन रीको के अधिकारियों ने अब तक प्लांट के निर्माण को लेकर टेंडर तक नहीं निकाला। एनजीटी ने रीको के अधिकारियों की इस ढिलाई पर नाराजगी जताते हुए शीघ्र काम पूरा करने के लिए कहा है। एनजीटी ने कहा कि शीघ्र काम पूरा होने से पर्यावरण का नुकसान रोका जा सके। दिसंबर, 2017 में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी में मामला दायर किया था। इसके बाद एनजीटी ने रीको से भिवाड़ी के उद्योगों से निकलने वाले जहरीले पानी को रोकने के उपाय करने और सीइटीपी से निकलने वाली गंदगी रोकने के निर्देश दिए थे। एनजीटी के आदेश के बावजूद रीको ने कोई कार्रवाई नहीं की। भिवाड़ी के उद्योगों से जहरीला पानी हरियाणा के धारुहेड़ा और आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर विपरित असर डाल रहा है।

गौरतलब है कि दक्षिण-पूर्व जिले में निर्माण सामग्री के अवैध कारोबार और भारी मशीनों के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को देखते हुए नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को कार्रवाई करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने डीपीसीसी को कहा कि उल्लंघन करने वालों को नोटिस दिया जाए। एनजीटी ने कहा कि डीपीसीसी को उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए अन्य अधिकारियों के साथ समन्वय में कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करने दिया जाए। डीपीसीसी के वकील ने कहा कि प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन पाया गया है और मुआवजे का भी आकलन किया गया है। दिल्ली पुलिस और एसडीएम के साथ समन्वय बनाकर आगे की कार्रवाई होगी।

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