Rajasthan: प्लाज्मा डोनेट करने के लिए मुस्लिम युवक ने तोड़ा रोजा, कोरोना संक्रमित दो महिलाओं की बचाई जान

Rajasthan कोरोना पॉजिटिव दो महिलाओं की जान बचाने की खातिर अकिल मंसूरी ने रमजान में रखा रोजा तोड़ते हुए प्लाज्मा डोनेट कर मिसाल कायम की। इससे पहले वह दो बार प्लाजमा तथा सत्रह बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 04:25 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 04:32 PM (IST)
Rajasthan: प्लाज्मा डोनेट करने के लिए मुस्लिम युवक ने तोड़ा रोजा, कोरोना संक्रमित दो महिलाओं की बचाई जान
प्लाज्मा डोनेट करने के लिए मुस्लिम युवक ने तोड़ा रोजा, कोरोना संक्रमित दो महिलाओं की बचाई जान। फाइल फोटो

उदयपुर, सुभाष शर्मा। Rajasthan: इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं, इसे साबित किया है उदयपुर के अकिल मंसूरी ने। कोरोना पॉजिटिव दो महिलाओं की जान बचाने की खातिर मंसूरी ने रमजान में रखा रोजा तोड़ते हुए प्लाज्मा डोनेट कर मिसाल कायम की। इससे पहले वह दो बार प्लाजमा तथा सत्रह बार ब्लड डोनेट कर चुका है। अकिल की धर्म से बढ़कर इंसानियत को तरजीह दिए जाने की चर्चा चहुंओर हो रही है। चित्तौड़गढ़ जिले के डूंगला मूल के 32 वर्षीय अकिल मंसूरी इन दिनों उदयपुर के निकट उदयसागर चौराहा, देबारी में रहता है और सिविल इंजीनियरिंग (कांन्ट्रेक्टर) का काम करता है। वह कहता है समाजसेवा उनका पैसन है। इस काम में वह धर्म की जगह इंसानियत को तरजीह देता है। वह कहता है कि कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उसे अल्लाह ने कोरोना की चपेट में आए लोगों की मदद के लिए तैयार किया था, ताकि वह प्लाज्मा डोनेट कर सके। जैसे ही  पॉजिटिव मरीजों के लिए प्लाज्मा की जरूरत होती है, वह खुद वहां पहुंच जाता है।

कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद वह तीन बार प्लाज्मा डोनेट कर चुका है। वह कहता है यह बतौर इंसान उनकी जिम्मेदारी है और वह इसे पूरा कर रहा है। मुस्लिमों के लिए रमजान का महीना खास होता है और इस महीने वह रोजा रखते हैं। अकिल मंसूरी ने भी रमजान का रोजा रखा था, लेकिन इसी बीच उन्हें अपने मित्र हरप्रीत कोठारी के जरिए पता चला कि दो लोगों की जिंदगी के लिए प्लाज्मा की जरूरत है। दोनों को एक पॉजिटिव ब्लड का प्लाज्मा चाहिए था। सुबह के ग्यारह बजे थे और अकिल प्लाज्मा देने पहुंच गए। एंटीबॉडी टेस्ट कराने के बाद दोपहर ढाई बजे उनका प्लाज्मा लिया जाना था कि उनसे पूछा गया कि वह भूखे पेट तो नहीं।

रोजा रखने के चलते अकिल भूखे पेट था और प्लाज्मा डोनेट करने के लिए खाना खाना जरूरी था। ऐसे में अकिल ने धर्म से बढ़कर इंसानियत को तर्जी दी और रोजा तोड़कर प्लाज्मा डोनेट किया। अकिल बताता है कि उसे बाद में पता चला कि उन्होंने निर्मला (36) और अलका (30) को प्लाज्मा डोनेट किया। उनकी हालत बेहद गंभीर बताई जा रही थी और समय पर प्लाज्मा मिलने से अब वह लगातार स्वास्थ्य लाभ की ओर हैं। सितंबर, 2020 में अकिल कोरोना संक्रमित हो गया था और उसके बाद वह सत्रह बार ब्लड डोनेट कर चुका है। वह दूसरे लोगों को भी यही राय देता है कि वह भी हर उन लोगों की मदद के लिए आगे आएं, जिनकी जरूरतें वह पूरा कर पाने में सक्षम हैं।

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