मौताणा : मौत से मुआवजे का खेल, अभी भी पुलिस रोक नहीं पा रही आदिवासियों की इस कुप्रथा को, 10 लाख में कराया समझौता

आदिवासी क्षेत्र में मौत के बदले मौत या उसके बदल आणा यानी राशि या रकम देने पर विवाद खत्म करते हैं। यह कुप्रथा सैकड़ों सालों से आदिवासियों में चल रही है। आज भी पुलिस मौताणे के मामले में समझौता करती दिखाई देती है

By Priti JhaEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 12:34 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 12:38 PM (IST)
मौताणा : मौत से मुआवजे का खेल, अभी भी पुलिस रोक नहीं पा रही आदिवासियों की इस कुप्रथा को, 10 लाख में कराया समझौता
अभी भी पुलिस रोक नहीं पा रही आदिवासियों की कुप्रथा मौताणा;

उदयपुर, संवाद सूत्र। आजादी के सात दशक बाद भी राजस्थान पुलिस आदिवासियों की कुप्रथा मौताणे पर रोक लगा पाने में विफल रही है। इसके विपरीत आज भी पुलिस आदिवासियों के सामने घुटने टेककर समझौता कराने में जुटी है। ऐसा ही एक मामला उदयपुर जिले में सामने आया है। आदिवासी कोटड़ा क्षेत्र में पिछले दिनों शराब पीने से रोकने पर पत्नी की गोली मारकर की गई हत्या के मामले में पुलिस ने मौताणे की मांग को लेकर चल रहे विवाद में समझौता कराया। मौताणे के रूप में दस लाख रुपये की रकम को लेकर हुए समझौते के बाद ही मृतका का घटना के तीन बाद पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार हो पाया।

आदिवासी उपखंड कोटड़ा के डूंगरिया तला गांव में शनिवार को गोला गमार ने अपनी पत्नी पीथा गमार की हत्या कर दी थी। शराब पीने से टोका-टोकी करने पर गोला घर में रखी बंदूक लेकर आया और लोड करने के बाद पत्नी पर फायर कर दिया था। जिसमें उसकी घटना स्थल पर मौत हो गई। उसके बाद ग्रामीणों ने गोला गमार को घर के बाहर सूखे पेड़ के तने से बांध दिया तथा पुलिस के हवाले कर दिया था। पुलिस ने उसका शव कोटड़ा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मोर्चरी में रखवाया था, लेकिन पीहर पक्ष के लोगों ने शव नहीं उठाने दिया। उनकी मांग मौताणे को लेकर थी।

गौरतलब है कि आदिवासी क्षेत्र में मौत के बदले मौत या उसके बदल आणा यानी राशि या रकम देने पर विवाद खत्म करते हैं। यह कुप्रथा सैकड़ों सालों से आदिवासियों में चल रही है। पुलिस प्रशासन भले ही इस प्रथा के खात्मे का दावा करे लेकिन आज भी पुलिस मौताणे के मामले में समझौता करती दिखाई देती है। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। मृतका पीथा गमार के पीहर पक्ष भुला के ग्रामीणों ने मौताणे की रकम को लेकर डूंगरियातला गांव पर चढ़ाई कर दी थी। पीहर पक्ष के लोगों ने मौताणे के रूप में पंद्रह लाख रुपये की मांग रखी। दोनों पक्षों में चली कई दौर की वार्ता तथा कोटड़ा थाना पुलिस के सहयोग से मामला दस लाख रुपए में निपटा। इसके बाद ही पीहर पक्ष ने शव उठाने दिया। पोस्टमार्टम के बाद ही उसका अंतिम संस्कार हो पाया।

इस मामले में पुलिस अधीक्षक डॉ. राजीव पचार का कहना है कि मौताणे जैसी कुप्रथा को पुलिस बढ़ावा नहीं देती। पुलिस का रोल केवल कोरोना काल में कोविड प्रोटोकोल की पालना करना था।  

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