Rajasthan: जयपुर व कोटा में आरएसएस के प्रमुख प्रचारकों व कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे मोहन भागवत

Mohan Bhagwat सरसंघचालक मोहन भागवत अपने चार दिवसीय प्रवास पर राजस्थान आएंगे। इस दौरान वे जयपुर और कोटा में आरएसएस के प्रमुख प्रचारकों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। मोहन भागवत तीन और चार अक्टूबर को जयपुर में रहेंगे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 03:50 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 03:50 PM (IST)
Rajasthan: जयपुर व कोटा में आरएसएस के प्रमुख प्रचारकों व कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे मोहन भागवत
मोहन भागवत तीन व चार अक्टूबर को जयपुर में रहेंगे।

जयपुर, जागरण संवाददाता। Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघ चालक मोहन भागवत चार दिवसीय प्रवास पर राजस्थान आएंगे। इस दौरान वे जयपुर और कोटा में आरएसएस के प्रमुख प्रचारकों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। भागवत तीन व चार अक्टूबर को जयपुर में रहेंगे। वे पांच और छह अक्टूबर को कोटा प्रवास पर रहेंगे। कोटा में आगामी छह अक्टूबर को आयोजित स्व. दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्म शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में शामिल होंगे। इसी दिन भारतीय किसान संघ की राष्ट्रीय कार्यकारकारिणी की दो दिवसीय बैठक भी आयोजित की जाएगी। संघ के उत्तर पश्चिम राजस्थान क्षेत्र के संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल ने बताया कि भागवत अपने प्रवास के दौरान संघ के चयनित प्रमुख कार्यकर्ताओं से मिलेंगे।

उल्लेखनीय है कि भारतीय किसान संघ की स्थापना स्व. दतोपंत ने कोटा के दशहरा मैदान से की थी। वर्तमान में कोरोना गाइडलाइन के चलते कार्यक्रम में 100 लोग ही उपस्थित रहने के दिशा निर्देश दिए गए हैं, लेकिन प्रदेश की 10 हजार ग्राम समितियों में एक साथ इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया जाएगा। समारोह में भाग लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति का टेस्ट कराया जाएगा। 

मोहन भागवत ने गत दिनों यूपी में कहा था कि कोई भी ऐसी जाति नहीं है जिसमें श्रेष्ठ महान व देशभक्त लोगों ने जन्म नहीं लिया हो। महापुरुष केवल अपने कार्यों से ही महान बनते हैं। सरसंघचालक ने परिवारिक बिखराव पर भी चिंता जाहिर की। कहा कि कुटुंब संरचना प्रकृति प्रदत्त है इसलिए इसको सुरक्षित रखना और संरक्षण देना हमारा दायित्व है। परिवार कोई असेंबल इकाई नहीं है। भारतीय संस्कृति में परिवार की विस्तृत परिकल्पना है।

इसमें केवल पति-पत्नी और बच्चे ही शामिल नहीं हैं वरन दादा-दादी, बुआ, चाचा-चाची भी प्राचीन काल से परिवार को अभिन्न हिस्सा माने जाते रहे हैं। बच्चों में इसी संस्कार के विकास से परिवार के साथ सामाजिक एकता भी मजबूत होगी। उन्होंने बच्चों में अतिथि देवो भव: का भाव उत्पन्न करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि बच्चों को समय-समय पर महापुरुषों की कहानियां व उनके संस्मरण भी सुनाए व सिखाए जाने चाहिए। साथ ही, संघप्रमुख ने गो आधारित व प्राकृतिक खेती के लिए समाज को प्रशिक्षित करने की बात भी कही। 

chat bot
आपका साथी