Rajasthan: जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग पर्यटकों के लिए एक अक्टूबर से खुलेगा
Mehrangarh Fort जोधपुर का मेहरानगढ़ फोर्ट एक अक्टूबर से आम जन के लिए पुनः खुलने जा रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण भारत सरकार व राजस्थान सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इस साल 22 मार्च से बंद है।
जोधपुर, संवाद सूत्र। Mehrangarh Fort: देश-विदेश में अपनी स्थापत्य कला से विश्व विरासत के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में अपनी अगल पहचान रखने वाला सूर्यनगरी जोधपुर का मेहरानगढ़ फोर्ट एक अक्टूबर से आम जन के लिए पुनः खुलने जा रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण भारत सरकार व राजस्थान सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इस साल 22 मार्च से बंद है। अब राज्य सरकार से मिले दिशा निर्देशों के तहत और कोविड 19 कि गाइडलाइन के तहत ऐतिहासिक दुर्ग पुनः आमजन के खुलेगा, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोरोना संबधित अन्य सभी गाइडलाइन की पालना की जाएगी। मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट के निदेशक कुंवर करणी सिंह जसोल ने बताया कि सरकार की गाइडलाइन अनुसार अनलॉक के दौरान विभिन्न होटल्स, गेस्ट हाउस, सरकारी म्यूजियम व अन्य पर्यटन स्थलों को खोला गया है।
इसी को ध्यान में रखते हुए और गाइड एसोसिएशन , होटल्स एसोसिएशन, ट्रेवल्स एसोसिएशन, गेस्ट हाउस मालिकों इत्यादि के अनुरोध और विचार-विमर्श के बाद आगामी एक अक्टूबर से मेहरानगढ़ दुर्ग खोला जा रहा है। इससे न सिर्फ पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों को राहत पहुंचेगी वरन पर्यटन व्यवसाय से जुड़े छोटे से छोटे व्यापारियों को पुनः रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, जो पिछले छह महीनों से बंद पड़े थे। उन्होंने बताया कि मेहरानगढ़ दुर्ग खुलने पर विजिटर्स की सुरक्षा के विशेष बंदोबस्त किए जा रहे है, जिसमें लाइन टिकट की विशेष व्यवस्था रहेगी , सीमित संख्या में ही विजिटर्स को प्रवेश दिया जाएगा, डिजिटल थर्मामीटर से जांच, सोशियल डिस्टेशिंग के नियमों की पालना, समय-समय के अंतराल पर परिसर का सैनिटाइजेशन व अन्य सभी आवश्यक व्यवस्थाओं को पूर्ण किया जाएगा। मेहरानगढ़ कर्मचारियों, गाइड बंधुओं को भी इससे संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मेहरानगढ़ दुर्ग आगामी एक अक्टूबर पुनः खोला जाएगा। इसको लेकर दुर्ग को सैनिटाइज्ड किया गया, वहीं प्रवेश द्वार सहित अन्य स्थलों पर थर्मल चेकिंग की व्यवस्था की गई है, जहां पर चेकिंग के बाद ही कर्मचारियों व आगंतुकों को प्रवेश दिए जाने की व्यवस्था की गई है।
स्थापत्य कला का नायाब उदाहरण मेहरानगढ़
सूर्यनगरी जोधपुर में राठोड़ो द्वारा इस किले का निर्माण करवाया गया, जहां 12 मई 1459 में राव जोधा द्वारा चिड़िया टूक पहाड़ी पर इस किले के निर्माण का कार्य करवाया गया था। तब से लेकर आज तक ये दुर्ग राव जोधा के वंशजों द्वारा अधिपत्य रहा। इसकी बनावट के साथ स्थापत्य कला भी बेजोड़ है। वहीं, इसमें एक बड़ा संग्रहालय बनाया गया है, जिसमें कि हथियारों, गहनों, पालकियों के साथ साथ राजशाही वैभव के राज प्रासादों, मोती महल, फूल महल, शीशा महल और झांकी महल जैसे चार कमरे भी हैं। इस किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजें और जालीदार खिड़कियां हैं। वहीं, राजपरिवार के साथ आम जन की आस्था का प्रतीक चामुंडा माता के मंदिर भी किले के एक छोर पर बना है, जहां नवरात्रि में राज परिवार से जुड़े लोग ही नहीं बड़ी संख्या में जोधपुरवासी व अन्य स्थानों से भी जनसामान्य पूजा-अर्चना करने आते हैं।