Rajasthan: जयपुर में बनेगा महात्मा गांधी इंस्टीटयूट ऑफ गर्वनेंस एंड सोशल साइंसेज

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गर्वनेंस एंड सोशल सोशल साइंसेज बनाने की घोषणा की थी। जयपुर के सेंट्रल पार्क में बनने वाले इस इंस्टीट्यूट में प्राथमिकता के आधार पर स्टूडेंट्स का चयन होगा। चयनित स्टूडेंट्स को डिप्लोमा कोर्स मेें प्रवेश दिया जाएगा।

By Priti JhaEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 11:40 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 11:40 AM (IST)
Rajasthan: जयपुर में बनेगा महात्मा गांधी इंस्टीटयूट ऑफ गर्वनेंस एंड सोशल साइंसेज
जयपुर में भी महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गर्वनेंस एंड सोशल साइंसेज

जागरण संवाददाता, जयपुर। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी स्कूल ऑफ गर्वनेंस, पुणे की तर्ज पर जयपुर में भी महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गर्वनेंस एंड सोशल साइंसेज शुरू होगा। यह इंस्टीट्यूट युवाओं को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिक्षा को आत्मसात करते हुए सामाजिक कार्याें में भूमिका निभाने को लेकर तैयार करने के लिहाज से शुरू किया जा रहा है। इंस्टीट्यृट की योजना को मूर्त रूप देने के लिए लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ.देवस्वरूप की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है।

यह कमेटी पुणे जाकर महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी स्कूल ऑफ गर्वनेंस एवं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के कार्यकलापों का अध्ययन करेगी। वहां के प्रबंधकों के साथ संवाद कर कार्य योजना तैयार करेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गर्वनेंस एंड सोशल सोशल साइंसेज बनाने की घोषणा की थी। जयपुर के सेंट्रल पार्क में बनने वाले इस इंस्टीट्यूट में प्राथमिकता के आधार पर स्टूडेंट्स का चयन होगा। चयनित स्टूडेंट्स को डिप्लोमा कोर्स मेें प्रवेश दिया जाएगा।

इंस्टीट्यूट परिसर में ही महात्मा गांधी दर्शन म्यूजियम भी बनाया जाएगा। इंस्टीट्यूट और म्यूजियम में महात्मा गांधी की पूरी जीवन यात्रा से जुड़े तथ्यों का समावेश किया जाएगा। गहलोत का कहना है कि प्रदेश में युवा शांति सेना बनाने जैसे प्रयास भी किए जाने की योजना है। उल्लेखनीय है कि डॉ.देवस्वरूप गहलोत के पिछले कार्यकाल में राजस्थान यूनिवर्सिटी के कुलपति थे। उसके बाद वे यूजीसी में चले गए थे। करीब ढ़ाई साल पहले तीसरी बार प्रदेश की सत्ता संभालते ही गहलोत ने लॉ यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय किया और कुलपति देवस्वरूप को बनाया गया। अब नए इंस्टीट्यृट का मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी भी उन्हे ही सौंपी गई है। 

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