Rajasthan: आइआरएस शशांक यादव का खुलासा, किसानों से रिश्वत के रूप में 35 करोड़ वसूले

Rajasthan एसीबी की पकड़ में आए वरिष्ठ आइआरएस अधिकारी शशांक यादव ने राजस्थान और मध्य प्रदेश के छह हजार किसानों से अफीम की गुणवत्ता अच्छी बताने और पट्टा दिलवाने के नाम पर पिछले छह माह में 35 करोड़ से ज्यादा की रकम वसूली है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 08:51 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 08:51 PM (IST)
Rajasthan: आइआरएस शशांक यादव का खुलासा, किसानों से रिश्वत के रूप में 35 करोड़ वसूले
आइआरएस शशांक यादव का खुलासा, किसानों से रिश्वत के रूप में 35 करोड़ वसूले। फाइल फोटो

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी और लैब में कार्यरत कर्मचारी लाइसेंसधारी किसानों की अफीम की गाढ़ता और मॉरफीन की मात्रा ज्यादा बताने के लिए 80 हजार रुपये प्रत्येक किसान से रिश्वत के रूप में लेते हैं। इसके साथ ही अफीम के पट्टे दिलवाने के नाम पर भी मोटी रकम वसूली जाती है। अगर किसी किसान ने रिश्वत देने से इनकार किया तो कोई कारण बताकर उसको पट्टा जारी नहीं किया जाता है। शनिवार को राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की पकड़ में आए वरिष्ठ आइआरएस अधिकारी शशांक यादव ने पूछताछ के दौरान इस बात का खुलासा किया है। यादव ने राजस्थान और मध्य प्रदेश के छह हजार किसानों से अफीम की गुणवत्ता अच्छी बताने और पट्टा दिलवाने के नाम पर पिछले छह माह में 35 करोड़ से ज्यादा की रकम वसूली है।

प्रारंभिक जांच में सामने आया कि अगर एसीबी यादव को नहीं पकड़ती तो वह आगामी कुछ दिनों में और रकम वसूल कर लेता। यादव उत्तर प्रदेश के गाजीपुर स्थित अफीम फैक्टी का महाप्रबंधक है। उसके पास मध्य प्रदेश के नीमच स्थित फैक्ट्री का अतिरिक्त प्रभार है। देश में अफीम की दो ही फैक्ट्रियां हैं। एसीबी की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि रिश्वत के रूप में वसूली की गई रकम का बंटवारा उच्च स्तर तक होता था। यादव सबसे ज्यादा रकम लेता था। एसीबी ने यादव को रविवार को कोटा कोर्ट में पेश किया। जहां से न्यायाधीश प्रमोद मलिक ने उसे चार दिन के रिमांड पर भेज दिया गया।

दो कर्मचारी और दलाल वसूली करते थे

पूछताछ के दौरान यादव ने बताया कि उसने राजस्थान के चित्तौड़गढ़, कोटा, झालावाड़, बारां और प्रतापगढ़ व कुछ मध्य प्रदेश के किसानों से यह रकम वसूली थी। रकम वसूलने का काम नीमच अफीम लैब के कर्मचारी अजीत सिंह और दीपक व्यास करते थे। कुछ दलाल भी उसके संपर्क में थे। उसने स्वीकारा कि जो किसान रकम दे देता था, उसकी अफीम की गाढ़ता अच्छी और मॉरफीन प्रतिशत ज्यादा बता दिया जाता था। लेकिन जो किसान रिश्वत नहीं देते थे, उनकी गुणवत्ता खराब बताई जाती थी। उल्लेखनीय है कि पिछले साल नारकोटिक्स विभाग में तैनात अधिकारी सहीराम मीणा को भी इसी तरह के रिश्वत के मामले में पकड़ा गया था।

यादव ऐसे पकड़ में आया

यादव हमेशा यूपी पुलिस का लोगो लगी सफेद स्कार्पियो में घूमता था। उस पर रेड-ब्ल्यू लाइन लगा रखी थी। पुलिस या किसी अन्य जांच एजेंसी से बचने के लिए उसने ऐसा कर रखा था। रविवार शाम एसीबी ने कोटा के हैंगिंग ब्रिज पर यादव को पकड़ा, तब भी वह उसी स्कार्पियो में बैठकर नीमच से गाजीपुर जा रहा था। उसके पास से 16 लाख 32 हजार 410 रुपये बरामद किए गए थे। यह रकम मिठाई के डिब्बों में रखी गई थी। एसीबी के महानिदेशक बीएल सोनी और अतिरिक्त महानिदेशक एमएन दिनेश को यादव और उसके साथियों के भ्रष्टाचार की जानकारी काफी दिनों से मिल रही थी। एसीबी ने जांच में यह पक्का किया कि राजस्थान के पांच जिलों के अफीम उत्पादक किसानों से रिश्वत की रकम ली जा रही है। इसके बाद यादव पर नजर रखना प्रारंभ किया। जुलाई के पहले सप्ताह में भी उसको पकड़े का प्रयास हुआ था, लेकिन वह बच गया। शनिवार को एसीबी की टीम को सूचना मिली कि यादव रिश्वत की रकम लेकर नीमच से गाजीपुर जा रहा है। इस पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ठाकुर चंद्रशील के नेतृत्व में कोटा के हैंगिंग ब्रिज पर नाकेबंदी करवाई गई और फिर यादव को पकड़ लिया। 

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