Interim order : उदयपुर की मशहूर पीछोला झील में उतर सकेगा क्रूज किन्तु होटल जैसी सुविधाओं पर रोक
Interim order संचालन से पहले लेने होंगे अनापत्ति प्रमाण पत्र। झील के पर्यावरण और पारिस्थितिकीय तंत्र को नुकसान की आशंका। पेयजल के लिए उपयोगी झील में क्रूज पर उठते रहे हैं सवाल।
जागरण संवाददाता, उदयपुर। उदयपुर की प्रसिद्ध पीछोला झील में क्रूज (बड़ी नाव) उतारा जा सकेगा लेकिन उसका स्वरूप किसी होटल और बार के रूप में नहीं होगा। उसमें न तो रात्रि विश्राम अर्थात होटल जैसी व्यवस्था की जा सकेगी, न ही शराब परोसी जा सकेगी। उदयपुर की स्थानीय अदालत ने प्रस्तावित क्रूज के विरोध में याचिका पर शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बहस के बाद अंतरिम आदेश जारी किए।
ना तो शराब बेची जा सकेगी ना सेवन होगा
अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश क्रमांक-4 के पीठासीन अधिकारी ने दिए आदेश में साफ किया है कि प्रस्तावित क्रूज पर ना तो शराब बेची जा सकेगी और ना ही बाहर से लाकर शराब का सेवन किया जा सकेगा।
अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद ही संचालन
इसे रात्रिकालीन विश्राम यानी होटल के रूप में भी उपयोग में नहीं लिया जा सकेगा। संबंधित सभी विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए जाने के बाद इसका संचालन झील में किया जा सकेगा।
क्रूज संचालन से नुकसान की जताई आशंका
पीछोला झील में क्रूज संचालन को पर्यावरण व अन्य दृष्टि से अनुचित बताते हुए उदयपुर के तेजशंकर पालीवाल, अशोक पालीवाल, जयदीप पालीवाल ने वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक सिंघवी व महेश बागड़ी के मार्फत जनहित वाद दायर किया था।
जहाजरानी मंत्रालय से अनुमति आवश्यक है
एडवोकेट सिंघवी ने तर्क दिया कि क्रूज के लिए जहाजरानी मंत्रालय से अनुमति आवश्यक है। ऐसे में नगर निगम क्रूज संचालन की अनुमति नहीं दे सकता है। पीछोला झील मीठे पानी की झील है जो शहर के पीने के पानी के लिए उपयोग में आती है। इस झील में नहाने पर भी प्रतिबंध है।
शहर की पेयजल व्यवस्था पर पड़ेगा प्रभाव
क्रूज जैसी गतिविधि के चलते शहर की पेयजल व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ सकता है। क्रूज जितनी गहराई तक जगह बनाएगा, उससे पीछोला झील को नुकसान पहुंच सकता है। जिस जगह क्रूज उतारने का प्रस्ताव है वहां पीछोला झील की गहराई 14 फीट बताई जा रही है,
क्रूज पानी में पांच फीट नीचे तक रहता है
जबकि तकनीकी जानकारों का कहना है कि क्रूज अपने वजन के चलते पानी में पांच फीट नीचे तक रहता है। ऐसे में जब भी पिछोला का जलस्तर कम होगा, तब झील के पेटे के पारिस्थितिकीय तंत्र को नुकसान पहुंचने की आशंका बनी रहेगी।
धाराएं अलग दिशाओं में बहेंगी तो प्रभाव
इसके चलने पर झील की पाल को भी नुकसान हो सकता है। इसको लेकर तर्क दिया गया है कि जब उसे चलाया जाएगा तो पानी की धाराएं अलग दिशाओं में बहेंगी जो अब तक की इसकी धाराओं की तासीर को प्रभावित करेगी।