उदयपुर में दिखा भारत का पहला ‘ल्यूसिस्टिक किंगफिशर’, पक्षी प्रेमी भानुप्रताप और विधान को मिली उपलब्धि

विश्व में तीसरी बार साइटिंग का भी मिला गौरव। उदयपुर जिले के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि बताया। रिसर्च पेपर तैयार कर इंडियन बर्ड वेबसाइट पर भेजा । ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी की साइटिंग ने इस अंचल की समृद्ध जैव विविधता पर मुहर लगा दी है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Mon, 04 Oct 2021 09:48 PM (IST) Updated:Mon, 04 Oct 2021 09:48 PM (IST)
उदयपुर में दिखा भारत का पहला ‘ल्यूसिस्टिक किंगफिशर’, पक्षी प्रेमी भानुप्रताप और विधान को मिली उपलब्धि
...उदयपुर के थूर गांव में मिला दुर्लभ ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर। इसे खोजने वाले पक्षी प्रेमी भानुप्रतापसिंह और विधान द्विवेदी।

 जासं, उदयपुर, सुभाष शर्मा। शहर के समीप थूर गांव में ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर देखा गया है। जिसको लेकर पक्षीप्रेमियों का दावा है कि भारत का पहला तथा विश्व का तीसरा मामला है। इससे पहले ब्रिटेन में तथा दूसरी बार ब्राजील में ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर देखे गए। इसको लेकर उदयपुर के पक्षीप्रेमियों ने खुशी जताई है।

देखने व पुष्टि करने वाले उदयपुर के दो पक्षी प्रेमी

ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर को देखने तथा उसके बारे में अध्ययन कर उसकी पुष्टि का श्रेय उदयपुर के दो पक्षीप्रेमियों को जाता है। इनमें नीमच माता स्कीम निवासी भानुप्रतापसिंह और हिरणमगरी सेक्टर पांच निवासी विधान द्विवेदी शामिल हैं। जिन्हें उदयपुर के समीपस्थ थूर गांव में ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की यह दुर्लभ साइटिंग हुई है।

दावा-भारत में पहली और विश्व में तीसरी साइटिंग

उनका दावा है कि लयूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी की भारत में यह पहली और विश्व में तीसरी साइटिंग है। उन्होंने बताया कि इस किंगफिशर की साइटिंग थूर गांव के समीप डांगियों का हुंदर गांव स्थित रेड सैल्यूट फार्म में की है, जबकि इसका घोंसला गांव के ही तालाब पर मिला है।

फोटो और विडियो क्लिक कर जानकारी जुटाई

उन्होंने बताया कि यह किंगफिशर उन्होंने 3 अगस्त 2021 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर पहली बार देखा। इसके बाद उन्होंने इस किंगफिशर के फोटो और विडियो क्लिक कर इसके बारे में जानकारी जुटानी प्रारंभ की और इसकी नेस्टिंग की तलाश की।

रिसर्च पेपर तैयार कर इंडियन बर्ड वेबसाइट पर भेजा

तीन-चार दिनों की खोज के बाद इसके यहीं रहने और नेस्टिंग करने की पुष्टि हुई। तब इन्होंने पक्षी विशेषज्ञों से संपर्क कर इसकी साइटिंग के बारे में जानकारी संकलित की। इसके बाद इन्होंने विशेषज्ञों की सहायता से रिसर्च पेपर तैयार कर इंडियन बर्ड वेबसाइट पर भेजा है।

उदयपुर में साइटिंग को भारत की पहली साइटिंग बताया

राजपूताना सोसायटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के संस्थापक और भरतपुर के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. सत्यप्रकाश मेहरा ने भी ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की उदयपुर में साइटिंग को भारत की पहली साइटिंग बताया है। उन्होंने बताया इससे पहले भरतपुर के घना पक्षी अभयारण्य में वर्ष 1991 में एल्बिनो कॉमन किंगफिशर की साइटिंग रिपोर्टेड है। उन्होंने बताया कि उदयपुर की जैव विविधता के बीच ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की साइटिंग वास्तव में उपलब्धि है और इसे शोध पत्रिकाओं में स्थान मिलना ही चाहिए।

उदयपुर जिले के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि बताया

इधर, उदयपुर के पक्षी विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त सहायक वन संरक्षक डॉ. सतीश शर्मा ने ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की साइटिंग पर खुशी जताते हुए कहा है कि शहर और आसपास की प्रदूषणमुक्त आबोहवा के कारण दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों की भी साइटिंग हो रही है। उन्होंने पक्षीप्रेमियों को इस उपलब्धि को शोध पत्रिका के लिए भेजने का सुझाव दिया और इसे उदयपुर जिले के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि बताया।

ऐसा होता है एल्बिनो और ल्यूसिस्टिक:

डॉ. सत्यप्रकाश मेहरा ने बताया कि जिस तरह से मनुष्यों में सफेद दाग या सूर्यमुखी होते हैं उसी तरह से अन्य जीवों का एल्बिनो और ल्युसिस्टिक होना भी एक तरह की बीमारी है। इसमें भी एल्बिनो में तो पूरी तरह जीव सफेद हो जाता है व आंखे लाल रहती है, इसी प्रकार ल्यूसिस्टिक में शरीर के कुछ भाग जैसे आंख, चोंच, पंजों व नाखून का रंग यथावत रहता है तथा अन्य अंग सफेद हो जाते हैं।

इंडियन बर्ड ने लगाई मुहर

भानुप्रतापसिंह और विधान द्विवेदी ने बताया कि दुर्लभ किंगफिशर के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी एकत्र करने के बाद शोध पत्र को इंडियन बर्ड वेबसाइट में इस खोज को प्रमाणित करने के लिए भेजा था, जहां से दो दिन पूर्व ही उनकी इस खोज को प्रमाणित किया है। ग्रीन पीपल सोसाईटी के राहुल भटनागर, वागड़ नेचर क्लब के डॉ. कमलेश शर्मा, विनय दवे सहित स्थानीय पक्षी प्रेमियों ने खुशी जताई है और कहा है कि ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी की साइटिंग ने इस अंचल की समृद्ध जैव विविधता पर मुहर ही लगा दी है।

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