Rajasthan: दुकानदार की संदिग्ध मौत के मामले में चौथे दिन भी नहीं उठाया शव, जुलूस निकालने पर केस दर्ज

Rajasthan दुकानदार तुलसीराम खटीक की संदिग्ध हालात में मौत के बाद परिजन शनिवार को चौथे दिन भी आरोपितों को गिरफ्तार करने और मुआवजा की मांग की। अब तक शव को नहीं उठाया गया है। जुलूस निकालने पर केस दर्ज करने पर खटीक समाज में रोष है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 09:04 PM (IST) Updated:Sat, 17 Jul 2021 09:04 PM (IST)
Rajasthan: दुकानदार की संदिग्ध मौत के मामले में चौथे दिन भी नहीं उठाया शव, जुलूस निकालने पर केस दर्ज
दुकानदार की संदिग्ध मौत के मामले में चौथे दिन भी नहीं उठाया शव, जुलूस निकालने पर केस दर्ज। फाइल फोटो

जोधपुर, संवाद सूत्र। जोधपुर के निकटवर्ती बनाड़ रोड स्थित एक कबाड़ की दुकान में दुकानदार तुलसीराम खटीक की संदिग्ध हालात में मौत के बाद परिजन शनिवार को चौथे दिन भी आरोपितों को गिरफ्तार करने और मुआवजा की मांग की। अब तक शव को नहीं उठाया गया है। शुक्रवार को समाज के लोगों ने रैली निकाल कर प्रदर्शन किया था। बाद में जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया गया। इस पर अब महामंदिर पुलिस की तरफ से कोविड गाइड लाइन की पालना नहीं किए जाने पर समाज के कुछ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। महामंदिर थाने में इस बाबत एसआइ कैलाश पंचारिया की तरफ से रिपोर्ट दी गई है। इसको लेकर भी समाज के लोगों में आक्रोश है।

जोधपुर में गत बुधवार की रात को बनाड़ रोड निवासी तुलसीराम खटिक पुत्र कालूराम की अपने कबाड़ की दुकान में संदिग्ध हालात में जलने से मौत हो गई थी। धुएं में दम घुटने और सिर पर चोट लगने से भी मौत होने का अंदेशा पुलिस ने जताया। बाद में समाज के लोगों ने उनकी हत्या किए जाने का आरोप लगाया। इस पर पुत्र रवि चंदेल की तरफ से हत्या का केस बनाड़ थाने में कुछ लोगों के खिलाफ दर्ज करवाया गया। घटना के चौथे दिन भी शव को नही उठाया गया है। परिजन आरोपितों की गिरफ्तारी के साथ ही मुआवजा की मांग कर रहे है।

रैली को लेकर दर्ज मामले को लेकर भी आक्रोश

खटीक समाज में इस मामले को लेकर रैली निकाली थी, जिसको कोविड-19 गाइडलाइन की अवहेलना मानते हुए पुलिस के द्वारा मामला दर्ज किया गया है। इसको लेकर भी समाज में आपत्ति दर्ज कराई है। समाज के लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के द्वारा जोधपुर में साइकिल रैली निकाली जाती है, तब किसी प्रकार का नियम उल्लंघन नहीं होता लेकिन दलित शोषित वंचित लोगों को अपना अधिकार मांगने के लिए यदि रैली निकालनी पड़ती है तो सरकार उन पर मामला दर्ज कर लेती है।  

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