Coronavirus: राजस्थान को आवश्यक चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने पर विचार करे केंद्र: हाईकोर्ट

Rajasthan कोविड रोगियों की संख्या और उपचार के लिए ऑक्सीजन की कमी और रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत को दूर करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को राजस्थान को आवश्यक चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने पर विचार के लिए कहा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 10:45 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 10:45 PM (IST)
Coronavirus: राजस्थान को आवश्यक चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने पर विचार करे केंद्र: हाईकोर्ट
राजस्थान को आवश्यक चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने पर विचार करे केंद्र: हाईकोर्ट। फाइल फोटो

जोधपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान में लगातार बढ़ रहे कोविड रोगियों की संख्या और उपचार के लिए ऑक्सीजन की कमी और रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत को दूर करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को राजस्थान को आवश्यक चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने पर विचार के लिए कहा है। राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति विनित कुमार माथुर की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले पर एक जनहित याचिका (पीआइएल) पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। दरअसल, सुरेंद्र जैन की ओर से दायर एक जनहित याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार को भेजी गई प्रदेश की जरूरती मांगो को जरूरत के हिसाब से पूरी नहीं की जा रही है। इसके अलावा ऑक्सीजन सप्लाई भी क्षेत्र के आसपास के स्थानों से हो, जिससे परिवहन के समय को बचाया जा सके। केंद्र का पक्ष रखते हुए एएसजी मुकेश राजपुरोहित ने कहा कि राज्य में रोगियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति से निपटने के लिए एक हाईपावर कमेटी का गठन किया गया है। रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर डिवीजन बेंच ने हाई पॉवर कमेटी को विचार करने के लिए कहा है।

गलत प्रबंधन पर भी हाईकोर्ट सख्त

कोविड महामारी के मद्देजनर प्रदेश में दवाओं की उपलब्धता ऑक्सीजन की कमी और वैक्सीन के मूल्य में अंतर को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में नोटिस जारी करते हुए राज्य व केंद्र से जवाब तलब किया है। खंडपीठ के समक्ष नागौर के मनीष भुवाल ने अधिवक्ता नीतीश कुमार के जरिए एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें गलत प्रबंधन , राज्य में चिकित्सा और बुनियादी सुविधाओं की कमी, ऑक्सीजन बेड की अनुपलब्धता सहित, आईसीयू सुसज्जित ऑक्सीजन बेड और ऑक्सीजन और चिकित्सा आपूर्ति की कमी, जिसमें दवाएं और इंजेक्शन शामिल हैं, के बारे में अवगत करवाया गया है। याचिका में वैक्सीन की मूल्य भिन्नता का मुद्दा भी उठाया गया है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और निजी द्वारा खरीदी गई दवाइयों, इंजेक्शन राशि में उसमें भिन्नता है जो अस्पताल उल्लंघन करते हैं, वे न केवल उल्लंघन करते हैं बल्कि भारत का संविधान के तहत मूलभूत अधिकार व ड्रग प्रावधानों का भी उल्लंघन करता है। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की ओर से एएसजी मुकेश राजपुरोहित व अतिरिक्त महाधिवक्ता करण सिंह राजपुरोहित को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।

सिरोही जिले में मेडिकल अव्यवस्थाओं पर भी लिया संज्ञान

वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कमी और सिरोही जिले में हो रही मौतों व अव्यवस्था को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता परीक्षित खरोर द्वारा बताया गया कि राज्य के अन्य जिलों में भी वेंटिलेटर बिना रिपेयरिंग अनुपयोगी पडे हैं। जो जनता के पैसों की बर्बादी है । जिस पर उच्च न्यायालय ने अन्य जिलों के अनुपयोगी वेंटिलेटर को एक सप्ताह में चालू करने का आदेश पारित किया तथा प्रमुख सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य को उक्त आदेश की पालना का शपथ पत्र पेश करने का आदेश पारित किया । मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहान्ति और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंड पीठ ने मामले की गंभीरता से लेते हुए अतिरिक्त महाअधिवक्ता ने राज्य सरकार व अन्य रेस्पोडेन्टस की ओर से पैरवी करते हुए न्यायालय के समक्ष निवेदन किया कि सिरोही मे पांच वेंटिलेटर चालू कर दिए हैं और अन्य भी शीघ्र चालू कर दिए जाएंगे। जिस माननीय न्यायालय ने फटकार लगाते हुए आगामी दो दिनों में खराब 43 वेंटिलेटर रिपेयरिंग कर चालू करने के लिए आदेश दिया । 17 मई को अगली सुनवाई होगी।

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