Rajasthan: सरकार ने विधानसभा में कहा-अनुसूचित जाति की महिलाओं से दुष्कर्म के दर्ज होते हैं झूठे मामले
Rajasthan विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया के सवाल के जवाब में सरकार की तरफ से बताया गया कि साल 2018 से 2020 तक दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 1467 मुकदमें पुलिस में दर्ज हुए जिनमें से 555 जांच में झूठे पाए गए।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान सरकार ने विधानसभा में पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में कहा कि प्रदेश में हीनियस क्राइम से जुड़े मामले बिना रोकटोक दर्ज होने के कारण लोग दलित महिलाओं के माध्यम से झूठे मुकदमें दर्ज करा दिए जाते हैं। इस कारण दलित महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया के सवाल के जवाब में सरकार की तरफ से बताया गया कि अनुसूचित जाति की महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में साल, 2018 की तुलना में 2020 में 17.31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। साल, 2018 से 2020 तक दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 1467 मुकदमें पुलिस में दर्ज हुए, जिनमें से 555 जांच में झूठे पाए गए। झूठे मुकदमें दर्ज करवाने पर तीन साल के दौरान 28 मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 182 के तहत कार्रवाई के लिए कोर्ट में पुलिस ने इस्तगासे पेश किए हैं।
इसके साथ ही 825 दुष्कर्म के मामलों में 1153 आरोपितों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ चालान पेश किया गया। साल, 2018 में दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 416 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 161 झूठे पाए गए। इसी तरह 2019 में 563 में से 214 और 2020 में 448 में से 180 मामले झूठे पाए गए। जवाब के अनुसार दलितों पर अत्याचार को लेकर 2018 से 2020 तक कुल 18,426 मामले दर्ज हुए। इनमें से 7731 मामले झूठे पाए गए। इन मामलों को पुलिस ने जांच के बाद बंद कर दिया। उधर, इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता कमल टाक का कहना है कि दलित महिलाओं से दुष्कर्म और अत्याचार की घटनाओं में सामाजिक दबाव के कारण भी गवाह मुकर जाते हैं। सामाजिक दबाव के कारण कई बार शिकायतकर्ता अपनी शिकायत वापस ले लेते हैं। इस कारण मुकदमों को बंद कर दिया जाता है। इन्हें झूठा करार दे दिया जाता है।