Rajasthan: गहलोत सरकार आम लोगों के लिए चलाएगी दो अभियान

Rajasthan गहलोत सरकार शहरों व ग्रामीणा क्षेत्रों के आम लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए दो अभियान चलाएगी। सरकार ने तय किया है कि प्रशासन शहरों के संग और प्रशासन गांवों के संग दो अलग-अलग अभियान चलाए जाएंगे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 09:57 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 09:57 PM (IST)
Rajasthan: गहलोत सरकार आम लोगों के लिए चलाएगी दो अभियान
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की फाइल फोटो।

जागरण संवाददाता, जयपुर। करीब पौने तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी अशोक गहलोत सरकार शहरों व ग्रामीणा क्षेत्रों के आम लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए दो अभियान चलाएगी। सरकार ने तय किया है कि प्रशासन शहरों के संग और प्रशासन गांवों के संग दो अलग-अलग अभियान चलाए जाएंगे। इन दोनों अभियानों में राजस्व प्रकरणों का निस्तारण किया जाएगा। शहरों व गांवों में जमीन के पट्टे वितरित किए जाएंगे। पेंशन प्रकरणों का निस्तारण होगा। बुधवार शाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में तय किया गया कि अभियान की शुरुआत के मौके पर दो अक्टूबर को होने वाले राज्य स्तरीय समारोह में सभी मंत्री मौजूद रहेंगे। इसके बाद चार अक्टूबर को सभी मंत्री अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों जाकर अभियान की समीक्षा करेंगे।

इसके बाद मंत्री पांच से सात अक्टूबर को अपने प्रभार वाले जिलों में ब्लाक स्तरीय शिविरों का निरीक्षण करेंगे। मंत्रिमंडल ने मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों अनुकंपात्मक नियुक्ति नियम-1996 में संशोधन का अनुमोदन किया गया है। मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रित के रूप में तलाकशुदा पुत्री या अविवाहित राज्य कर्मचारी की मौत होने पर उसके माता, पिता या अविवाहित भाई, बहन को माना जाएगा । वर्तमान अनुकंपात्मक नियुक्तियों के नियमों में सरकारी कर्मचारी की मौत होने पर पति, पत्नी या पुत्र को ही नौकरी दी जाती थी। बैठक में राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग संशोधन नियम का अनुमोदन किया गया। 

पूनिया ने कहा, गहलोत सरकार का इकबाल खत्म हो गया

राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि राज्य में अशोक गहलोत सरकार का इकबाल खत्म हो गया है। प्रदेश में ऐसे हालात बने हुए हैं,जहां कोई सुरक्षित नहीं है। अशोक गहलोत सरकार के ढ़ाई साल के कार्यकाल में साढ़े पांच लाख से ज्यादा मुकदमें दर्ज हुए हैं। दलित उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। गहलोत सरकार की मॉब लिंचिंग की परिभाषा अलग-अलग है। गहलोत,कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा हाथरस एवं राजस्थान के पहलू खान मामले की चिंता करते हैं, लेकिन अलवर में दलित योगेश जाटव की हत्या को माब लिंचिंग नहीं मानती है। बुधवार को एक बयान में पूनिया ने कहा कि राज्य सरकार ने माब लिंचिंग को लेकर कानून तो बनाया,लेकिन उसे प्रभावी रूप से लागू नहीं कर सकी। झालावाड़ में दलित की हत्या की गई, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

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