Rajasthan Political News: कल विधायक दल की बैठक में नहीं शामिल होंगे सचिन पायलट, हाई कमान ने दिल्‍ली से तीन नेताओं को भेजा

Rajasthan Political News Update सचिन पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि 30 से अधिक कांग्रेस और कुछ निर्दलीय विधायकों ने सचिन पायलट को समर्थन देने का वादा किया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 05:12 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 10:23 PM (IST)
Rajasthan Political News: कल विधायक दल की बैठक में नहीं शामिल होंगे सचिन पायलट, हाई कमान ने दिल्‍ली से तीन नेताओं को भेजा
Rajasthan Political News: कल विधायक दल की बैठक में नहीं शामिल होंगे सचिन पायलट, हाई कमान ने दिल्‍ली से तीन नेताओं को भेजा

जयपुर, एजेंसियां। Rajasthan Political News : करीब पौने दो साल पहले राजस्थान में सत्ता में आई कांग्रेस 23 दिन पहले राज्यसभा चुनाव के बाद पूरी तरह सुरक्षित नजर आ रही थी। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी आलाकमान आश्वस्त थे कि उनकी सरकार के पास पूरा बहुमत है और पांच साल कोई मुश्किल होने वाली नहीं है, लेकिन गहलोत सरकार अब संकट से घिरती नजर आ रही है। गहलोत और पार्टी आलाकमान की मुश्किलें उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट व उनके समर्थकों ने बढ़ा दी हैं। रविवार को दिनभर जयपुर से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस की गतिविधियां तेज रहीं। गहलोत की दिन में कई बार राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल व राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे से बात हुई। गहलोत से बात होने के बाद पांडे ने पायलट से भी संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं हो सकी।

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 - पायलट की नाराजगी से गंभीर होते सियासत हालात को देखते हुए हाईकमान तीन वरिष्ठ नेताओं रणदीप सुरजेवाला अजय माकन और प्रभारी महासचिव अविनाश पांडेय को बतौर पर्यवेक्षक जयपुर भेज दिया है। वहीं विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में नोटिस भेजे जाने से नाराज सचिन पायलट ने कांग्रेस नेताओं से बातचीत बंद कर दिया है।

- राजस्थान के डिप्टी सीएम और कांग्रेस नेता सचिन पायलट कल होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होंगे। पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि 30से अधिक कांग्रेस और कुछ निर्दलीय विधायकों ने सचिन पायलट को समर्थन देने का वादा किया है जिसके बाद गहलोत सरकार अल्पमत में आ गई है।

- उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री, अपनी ही जांच एजेंसी का बेजा इस्तेमाल करते हुए उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्रीगण व विधायकों को अपमानित करवाने का षड्यंत्र कर रहे हैं। राजेंद्र राठौड़ के मुताबिक देश के इतिहास में यह पहली घटना है कि जब किसी मुख्यमंत्री को उसके ही अधीनस्थ पुलिस विभाग द्वारा नोटिस भेजा गया हो।

- विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप द्वारा मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व विधायकों को नोटिस दिए जाने के मामले में राजस्थान में विपक्षी दल भाजपा ने कहा है कि विधायकों को अपमानित करने के लिए ऐसे नोटिए दिए गए है। 

इस मामले में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि तमाम घटनाक्रम, इस बात का सबूत हैं कि कांग्रेस के भीतर अंतर्कलह चरम पर है। मुख्यमंत्री खुद गृहमंत्री हैं और विभाग के मुखिया को एक साधारण  डिप्टी एसपी द्वारा नोटिस दिया जाना ताज्जुब की बात है।

- राजस्थान कांग्रेस के विधायक दानिश अबरार ने कहा कि सचिन पायलट जी राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और मैं राज्य पार्टी का सचिव हूं, इसलिए सचिन जी से मिलना जुलना ये एक रुटीन की बात है। हम तीनों का (चेतन डूडी, रोहित बेहरा और मैं) भाजपा से कोई संपर्क नहीं हुआ है।

- राजस्थान कांग्रेस के विधायक रोहित बोहरा ने कहा कि हम कांग्रेस पार्टी के साथ हैं। हम कांग्रेस पार्टी के सिपाही हैं और जिंदगी भर रहेंगे। मेरा इतिहास है कि 90 साल से चौथी पीढ़ी में हम कांग्रेस के साथ हैं, हम किसी के साथ नहीं हैं हम कांग्रेस के साथ हैं।  

- राज्य के कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने कहा, ऐसे समय में जब हम कोरोना के खिलाफ लड़ रहे हैं और भाजपा सत्ता के लिए लड़ रही है। राजस्थान सरकार अपना पूरा कार्यकाल पूरा करेगी। 

- सूत्रों के अनुसार, 30 कांग्रेसी विधायक और कुछ निर्दलीय विधायक सचिन पायलट के संपर्क में हैं और उन्होंने जो भी फैसला किया है, उस पर अपना समर्थन दें। 

इससे पहले पायलट ने शनिवार देर रात दिल्ली में अहमद पटेल से मुलाकात की थी। पायलट ने अहमद पटेल से मुलाकात के बाद रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी को साफ संदेश पहुंचा दिया कि गहलोत उन्हें साइडलाइन करने में जुटे हैं, जिसे वे स्वीकार नहीं करेंगे। सूत्रों के अनुसार, पायलट ने आलाकमान को आश्वस्त किया कि वे ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा कदम फिलहाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन उनके विभागों की फाइलों को मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा रोका जा रहा है, अधिकारियों के तबादलों में सलाह नहीं ली जा रही और सरकार के महत्वपूर्ण निर्णयों से उन्हें दरकिनार किया जा रहा है, जो सरकार गठन के समय दोनों नेताओं के बीच राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा कराए गए समझौते के खिलाफ है।

पायलट ने कहा कि गहलोत अब राजनीतिक नियुक्तियां भी अपने हिसाब से करना चाहते हैं, इसे वे स्वीकार नहीं करेंगे। उधर, पायलट के एक विश्वस्त विधायक ने "दैनिक जागरण" को बताया कि उनकी कुछ दिनों पूर्व ज्योतिरादित्य सिंधिया से फोन पर बात हुई थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री व हरियाणा के भाजपा नेता चौधरी विरेंद्र सिंह सहित कई नेता चाहते हैं कि पायलट भाजपा के साथ आ जाएं। इस विधायक ने बताया कि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने पायलट को ऑफर दिया है कि यदि वे पार्टी में शामिल नहीं होना चाहें तो अपने समर्थक विधायकों के साथ अलग मोर्चा बना लें, हम उसे समर्थन करेंगे।

गहलोत सरकार को खतरा बरकरार

पायलट और ज्योतिरादित्य की दोस्ती, भाजपा नेताओं से संपर्क और सीएम से नाराजगी जैसे इन सारे तारों को जोड़ने के बाद साफ है कि गहलोत सरकार पर खतरे के बादल हैं। इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या कांग्रेस के असंतुष्ट गुट के साथ मिलकर भाजपा मध्य प्रदेश और कर्नाटक की कहानी राजस्थान में भी दोहरा सकते हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर गहलोत पर सरकार पर सियासी सर्जिकल स्ट्राइक होती है तो उसमें ज्योतिरादित्य की भूमिका को भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि, जो स्थिति कमलनाथ सरकार में ज्योतिरादित्य की थी। कुछ वैसी ही गहलोत सरकार में सचिन पायलट की है। बार-बार मुख्यमंत्री के साथ टकराव होता है।

राज्य विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायकों का समर्थन हैं। इसके अलावा सरकार को 13 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। यानी कांग्रेस के पास 121 विधायकों का समर्थन है। भाजपा के पास 72 विधायक हैं। राष्ट्रीय लोकदल के तीन, माकपा व बीटीपी के दो-दो विधायक हैँ। अगर मध्य प्रदेश की तर्ज पर कांग्रेस के कुछ विधायक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देते हैं और निर्दलीय भी कांग्रेस के बजाय भाजपा का समर्थन कर दें तो गहलोत सरकार अल्पमत में आ सकती है। पायलट के समर्थक 20 विधायक हैं। इनमें 13 एनसीआर के होटल में हैं। तीन निर्दलीय भी पायलट के साथ हैं। अगर 23 विधायक इस्तीफा दे देते हैं तो सदन में विधायकों की कुल संख्या 177 रह जाएगी और बहुमत साबित करने का आंकड़ा 101 से कम होकर 90 रह जाएगा। भाजपा के पास इस समय 72 विधायक हैं। अगर उसे 13 निर्दलीयों का भी समर्थन मिल जाए तो उसके समर्थक विधायकों की संख्या 85 तक पहुंच जाती है। 

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