दो आईएएस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज, गिरफ्तारी की तलवार लटकी
युवाओं को प्रशिक्षण देने वाली फर्माें से लेते थे रिश्वत जांच में सामने आया कि आरएसडीसी के अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं से पैसों की वसूली की जाती थी ।
जागरण संवाददाता,जयपुर। राजस्थान कौशल और आजीविका मिशन (आरएसएलडीसी) रिश्वत कांड मामले में राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भारतीय प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारियों(आईएएस) सहित 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है । इनमें राज्य प्रशासनिक सेवा का एक अधिकारी भी शामिल है।
ब्यूरो के सूत्रों के अनुसार अब दोनों आईएएस नीरज के पवन और प्रदीप गवड़े पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। जांच और पूछताछ के बाद इनकी कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है। दोनों के जब्त किए गए मोबाइल फोन के डाटा की जांच में कई महत्वपूर्ण सबूत ब्यूरो की जांच टीम को मिले हैं । आरएसएलडीसी के दफ्तर में दोनोें के कमरों में भी कई सबूत मिले हैं। पवन आरएसएलडीसी के चेयरमैन और गवड़े एमडी हैं। ब्यूरो के महानिदेशक बी.एल.सोनी ने बताया कि कुल 9 लोगों के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया गया है।
जांच में सामने आया कि आरएसडीसी के अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं से पैसों की वसूली की जाती थी । इन लोगों को जो संस्था पैसे नहीं देती है उसे या तो ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है या फिर जुर्माना लगाया जाता है । इसके बाद ब्लैक लिस्ट से हटाने या जुर्माना राशि कम करने के बदले में भी रिश्वत ली जाती है।
ब्लैक लिस्ट से किसी भी फर्म को हटाने का फैसला चेयरमैन और एसडी ही कर सकते हैं । ऐसे में इन दोनों के पास रिश्वत की रकम पहुंचती है। ऐसे युवाओं से भी पैसे वसूले जाते हैं जो मात्र प्रमाण-पत्र लेते हैं । यहां क्लास में शामिल नहीं होते हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने युवाओं को प्रशिक्षण देकर निजी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए आरएसएलडीसी का गठन कर रखा है। यह निजी फर्माे के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षण दिलवाती रहती है।
इनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर
पिछले सप्ताह रिश्वत कांड का खुलासा करते हुए ब्यूरो ने पवन,गवड़े,राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी करतार सिंह,राहुल कुमार गर्ग,अशोक सांगवान,गजेंद्र सिंह ,अमित शर्मा,मुकेश और दिनेश के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इनमें से गर्ग और सांगवान की गिरफ्तारी हो चुकी है। शेष से पूछताछ की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि आरएसडीसी में कुछ माह पहले भी भ्रष्टाचार काा खुलासा ब्यूरो द्वारा किया गया था । भ्रष्टाचार के एक मामले में पवन 8 माह जेल में रह चुके हैं। बाद में हाईकोर्ट में उन्हे जमानत दी गई थी । उस समय पवन सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार पद पर कार्यरत थे ।