Rajasthan: वसुंधरा और विरोधियों के बीच घमासान तेज, राजे ने केंद्रीय नेतृत्व से कहा एक तरफा कार्रवाई कर रहा प्रदेश संगठन

Rajasthan अपने समर्थकों को निशाने पर लिए जाने से नाराज वसुंधरा ने शुक्रवार को प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह से मुलाकात की। दिल्ली में हुई इस मुलाकात में वसुंधरा ने अरुण सिंह से कहा कि इस तरह से एक तरफा कार्रवाई से नेताओं और कार्यकर्ताओें में नाराजगी बढ़ेगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 03:49 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 03:49 PM (IST)
Rajasthan: वसुंधरा और विरोधियों के बीच घमासान तेज, राजे ने केंद्रीय नेतृत्व से कहा एक तरफा कार्रवाई कर रहा प्रदेश संगठन
वसुंधरा राजे और विरोधियों के बीच घमासान तेज। फाइल फोटो

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान कांग्रेस में पहले से ही सियासी घमासान चरम पर है। अब भाजपा में भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और विरोधी खेमे के नेता खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में आ गए हैं। भाजपा की प्रदेश इकाई द्वारा वसुंधरा खेमे के एक दर्जन नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों से जुड़ा नोटिस देने की तैयारी कर ली है। इसकी शुरुआत पूर्व मंत्री डॉ. रोहिताश्व शर्मा से की गई है। उधर, अपने समर्थकों को निशाने पर लिए जाने से नाराज वसुंधरा ने शुक्रवार को प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह से मुलाकात की। दिल्ली में हुई इस मुलाकात में वसुंधरा ने अरुण सिंह से साफ कहा कि इस तरह से एक तरफा कार्रवाई से नेताओं और कार्यकर्ताओें में नाराजगी बढ़ेगी।

वसुंधरा राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तक भी अपनी नाराजगी पहुंचाई है। इस मामले में अरुण सिंह ने दैनिक जागरण से कहा कि सार्वजनिक बयानबाजी करने से नेताओं को दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ. शर्मा ने कई तरह की ऐसी बयानबाजी की, जो पार्टी के हित में नहीं हैं। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि देखते रहिए आज तक, इंतजार कीजिए कल तक। पूनिया ने कहा कि सभी को पार्टी की नीति के अनुसार काम करना होगा। अनुशासन का पालन तो सभी को करना होगा।

दो खेमों में बंटी भाजपा

राज्य भाजपा पिछले कुछ समय से पूरी तरह से दो खेमों में बंटी हुई है। एक खेमा वसुंधरा का तो दूसरा उनके विरोधी पूनिया, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया व उप नेता राजेंद्र राठौड़ शामिल हैं। वसुंधरा विरोधी खेमे को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का भी समर्थन प्राप्त है। इन नेताओं का संगठन पर कब्जा है। ये पिछले एक साल से वसुंधरा विरोधियों को संगठन में महत्व देने में जुटे हैं। वहीं, अपनी उपेक्षा होते देख वसुंधरा खेमे ने समानांतर गतिविधियां शुरू कर दी हैं। कोरोना काल में वसुंधरा रसोई विधानसभा क्षेत्र स्तर पर चलाई गई, जबकि संगठन की तरफ से सेवा कार्य चलाए जा रहे थे। वसुंधरा समर्थकों ने इंटरनेट मीडिया पर कई ग्रुप बना रखे हैं। जिला स्तर पर इनकी टीम बनाई गई है।

ये नेता संगठन के निशाने पर

वसुंधरा खेमे के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी, भवानी सिंह राजावत, प्रहलाद गुंजल, युनूस खान, पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली सहित एक दर्जन नेताओं को नोटिस देने की तैयारी है। सिंघवी, राजावत व गुंजल ने पिछले दिनों सार्वजनिक रूप से कहा था कि वसुंधरा के बिना पार्टी चुनाव नहीं जीत सकती। राजस्थान में वसुंधरा ही भाजपा और भाजपा ही वसुंधरा है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी पर भी अनुशासन की तलवार चल सकती है। 

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