डूंगरपुर जिले में विवाहिता से दुष्कर्म, आरोपी पक्ष का आरोप, पैसे लेकर निपटाना चाहता था पीडि़त पक्ष, बात न बनी तो कराई FIR
डूंगरपुर जिले के दानपुर थाना क्षेत्र के ककाई डूंगरी गांव में एक महिला के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है। घटना के समय पति मध्यप्रदेश में सोयाबीन की फसल काटने गया था और उसके लौटने के बाद पीड़िता संग वह थाने पहुंचा।
उदयपुर, जागरण संवाददाता। डूंगरपुर जिले के दानपुर थाना क्षेत्र के ककाई डूंगरी गांव में एक महिला के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है। घटना के समय पति मध्यप्रदेश में सोयाबीन की फसल काटने गया था और उसके लौटने के बाद पीड़िता संग वह थाने पहुंचा। इधर, आरोपी पक्ष ने पुलिस को बताया कि पीड़िता के पति ने दुष्कर्म मामले में भांजगड़ा (किसी भी अपराध के एवज में पैसा लेकर उसका निपटारा करने की कुप्रथा)करने की कोशिश की लेकिन दोनों पक्षों में बात नहीं बनी तब उसने मामला दर्ज कराया। जिसकी पुष्टि दानपुर थाना पुलिस ने भी की है।
मिली जानकारी के अनुसार घटना पंद्रह दिन पहले की बताई जा रही है। पीड़िता का पति मध्यप्रदेश के रतलाम में सोयाबीन की फसल काटने के लिए मजदूरी पर गया था। एक रात ककाई डूंगरी निवासी दिनेश पुत्र जीवणा मइड़ा उसके घर आया। उसने पति का नाम लेकर आवाज लगाई। जैसे ही विवाहिता ने दरवाजा खोला तो वह अंदर आ गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद वह उसे डरा—धमकाकर फरार हो गया। पति के पास मोबाइल नहीं होने पर वह घटना की जानकारी घटना के बाद पति को नहीं दे पाई। उसके लौटने के बाद पति को सारे घटनाक्रम की जानकारी दी तब वह उसे लेकर दानपुर थाने पहुंचा।
थानाधिकारी रमेशचंद्र का कहना है कि विवाहिता के कथनानुसार घटना दो सप्ताह से अधिक पुरानी है। ऐसे में दुष्कर्म की पुष्टि संभव नहीं है, किन्तु विधि अनुसार पीड़िता का मेडिकल कराया गया है। हालांकि प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि दुष्कर्म के मामले में पीड़िता के पति ने आरोपी पक्ष से भांजगड़ा करने की कोशिश की थी।
क्या होता है भांजगड़ा: आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में भांजगड़ा एक ऐसी कुप्रथा है जिसके जरिए आदिवासी लोग किसी भी अपराध के बदले पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दिलाते हैं। पैसा मिलने के बाद पीड़ित वर्ग अपराधी की गलती को माफ कर देता है। भांजगड़ा कराने में समाज के प्रबुद्ध लोग शामिल होते हैं, जो अपराधी और पीड़ित वर्ग की हैसियत को देख भांजगड़ा कराते हैं। यह राशि 50 हजार रुपए से लेकर 25 लाख रुपए तक हो सकती है। इस राशि में तीन फीसदी हिस्सा भांजगड़ा कराने वाले प्रतिनिधियों को मिलता है।