Rajasthan: जयसमंद झील की पाल को नुकसान पहुंचा तो मच सकती है तबाही

Rajasthan जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी जयशंकर शर्मा बताते हैं कि झील के बांध को नुकसान पहुंचने पर खतरा अकेले उदयपुर जिले को ही नहीं बल्कि यह गुजरात तक तबाही ला सकता है। झील की क्षमता 14 हजार 500 एमसीएफटी पानी की है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 02:43 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 02:43 PM (IST)
Rajasthan: जयसमंद झील की पाल को नुकसान पहुंचा तो मच सकती है तबाही
स्वीमिंग पूल के लिए जयसमंद झील की पाल और ऐतिहासिक धरोहर खतरे में। फाइल फोटो

उदयपुर, संवाद सूत्र। एशिया में मानव निर्मित मीठे पानी की दूसरे सबसे बड़ी झील की पाल पर सेंधमारी का मामला सामने आया है। पाल पर बने आरटीडीसी के होटल जो ऐतिहासिक धरोहर भी है, उसमें स्वीमिंग पूल बनाने के लिए पांच फीट गहरा गड्ढा कर दिया गया। जल संसाधन और वन विभाग के कार्यालय होने के बावजूद इस ओर अनदेखी की गई। ग्रामीणों को पता लगा तो वह विरोध में उतर आए। इसके बाद जल संसाधन विभाग व जिला प्रशासन दोनों की नींद खुली और अब स्वीमिंग पूल के लिए कराए गड्ढे को तीन दिन में भरने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि क्षेत्रीय जनता और ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि ऐसा नहीं हुआ तो वह पाल पर आंदोलन शुरू कर देंगे। बताया गया कि जयसमंद झील की पाल की दाहिनी ओर ऐतिहासिक धरोहर में आरटीडीसी का होटल संचालित है। जिसे आरटीडीसी ने पांच साल के लिए सुनील सुहालका को लीज पर दे रखा है। सुहालका ने इस भवन में स्वीमिंग पूल बनाने के लिए पाल पर पांच फीट गहरा गड्ढा कराया तथा उसका निर्माण जारी करने को था। इसका पता क्षेत्रीय जनता तथा गातोड़ सरपंच हमीरलाल मीणा को लगा तो उन्होंने इसका विरोध किया।

मिलीभगत की आशंका, सरपंच ने कहा-अवैध निर्माण हुआ तो करेंगे आंदोलन

गातोड़ सरपंच हमीरलाल मीणा का कहना है कि जब पाल पर कंप्रेशर के जरिए पांच फीट गहरा गड्ढा किया गया है तो जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को इसका पता क्यों नहीं चला, जबकि जल संसाधन विभाग का कार्यालय जयसमंद पाल पर मौजूद है। कंप्रेसर की आवाज सुनकर ग्रामीणों तक को पता चल गया और उन्होंने ही वहां चल रहा काम रुकवाया। पुरातत्व विभाग के अधीन ऐतिहासिक स्मारक पर किसी तरह का निर्माण संभव नहीं है। जबकि आरटीडीसी से लीज पर लेने के बाद उस पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। पांच दिन पहले होटल के पास दीवार तथा दरवाजे बनाने का काम भी ग्रामीणों ने ही रुकवाया था। ऐसे में स्वीमिंग पूल का निर्माण कराया जाना कतई संभव नहीं है। इसके बावजूद होटल संचालक ने काम जारी रखा जाना संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता। ऐतिहासिक धरोहर में छोटा सा भी काम कराने के लिए पुरातत्व विभाग की अनुमति की जरूरत होती है। जबकि जल संसाधन विभाग के अधिशासी अधिकारी कैलाश जैन का कहना है कि होटल संचालक को नोटिस जारी कर ट्रैक्टर व कंप्रेसर जब्त कर लिया गया है। साथ ही, होटल संचालक के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है। इधर, सराड़ा तहसीलदार रविन्द्र सिंह चौहान का कहना है कि तीन दिन में पूल के लिए खोदा गया गड्ढा बंद नहीं किया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

झील की पाल को नुकसान पहुंचा तो गुजरात तक मच सकती है तबाही

जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी जयशंकर शर्मा बताते हैं कि झील के बांध को नुकसान पहुंचने पर खतरा अकेले उदयपुर जिले को ही नहीं, बल्कि यह गुजरात तक तबाही ला सकता है। झील की क्षमता 14 हजार 500 एमसीएफटी पानी की है और लगभग दस हजार एमसीएफटी पानी अकसर मौजूद रहता है। पाल टूटने से इस झील का पानी सोमकमला आंबा बांध से होकर माही नदी के जरिए गुजरात के कड़ाणा बांध तक तेज गति से पहुंचेगा। जिससे जयसमंद क्षेत्र के निचले इलाके, डूंगरपुर और बांसवाड़ा के कुछ गांवों तथा गुजरात में भारी तबाही मच सकती है।

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