गलियों में घूमने वाली गायों को अब "आवारा" नहीं "आश्रयहीन" बोला जाएगा
नगर निगम की तरफ से संचालित हिंगोनिया गौशाला में गायों के रख-रखाव को सही करने को लेकर भी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। गौशाला में गायों को सही तरह से रखने के लिए बजट बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। जयपुर की गलियों में घूमने वाली गायों के लिए अब "आवारा" शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। जयपुर नगर निगम ग्रेटर प्रशासन ने इस संबंध में परिपत्र जारी किया है। अब ऐसी गायों को "आश्रयहीन" अथवा "बेसहारा" बोला जाएगा। इस संबंध में उप महापौर पुनीत कर्णावट ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं। कर्णावट ने कहा कि नगर निगम के जोन कार्यालयों और शहर के अलग-अलग स्थानों के कई दिनों तक किए गए निरीक्षण के दौरान पाया कि खुले में सड़कों पर घूमने वाली गायों को आवारा बोला जाता है । ऐसी गायों को आवारा बोलने की परंपरा काफी समय से है।
उन्होंने कहा कि डरे हुए जानवर के लिए ऐसे शब्द का इस्तेमाल करना गलत है। गाय को हमारे धर्म में पूजा जाता है। इसे गौमाता के नाम से जाना जाता है। हमारी सभ्यता और संस्कृति में गाय का काफी सम्मान और महत्व है। कर्णावट के साथ ही महापौर मुनेश गुर्जर ने भी शहर का दौरा किया तो आवारा शब्द ही सुनने को मिला। इस पर निगम के दस्तावेजों एवं बोलचाल की भाषा में ऐसी गायों के लिए बेसहारा या फिर आश्रयहीन शब्द का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया गया है ।
नगर निगम की तरफ से संचालित हिंगोनिया गौशाला में गायों के रख-रखाव को सही करने को लेकर भी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। गौशाला में गायों को सही तरह से रखने के लिए बजट बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि करीब चार साल पहले हिंगोनिया गौशाला में बड़े पैमाने पर गायों की मौत हुई थी । इसके बाद सरकार ने इस गौशाला के संचालन की जिम्मेदारी अश्रय पात्र फाउंडेशन से जुड़े श्रीकृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट को सौंपी थी।