Rajasthan: 1448 करोड़ की शेयर धोखाधड़ी के मामले में केरल के नामी परिवार के खिलाफ उदयपुर में मामला दर्ज

उदयपुर के थाने में इतनी बड़ी रकम से जुड़ी जालसाजी का पहला मामला है। जिसमें 33 साल पहले 3500 शेयर्स को खोना बताकर कंपनी से डुप्लीकेट प्रमाण पत्र जारी कराए गए और उन्हें बेच दिया गया। शेयर्स की मूल प्रति के आधार पर 1448 करोड़ रुपए की मांग की गई।

By Priti JhaEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 02:23 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 02:24 PM (IST)
Rajasthan: 1448 करोड़ की शेयर धोखाधड़ी के मामले में केरल के नामी परिवार के खिलाफ उदयपुर में मामला दर्ज
1448 करोड़ की शेयर धोखाधड़ी के मामले में केरल के नामी परिवार के खिलाफ उदयपुर में मामला दर्ज

उदयपुर, संवाद सूत्र। देश की बड़ी एग्रो कंपनियों में शुमार उदयपुर की पीआई इंडस्ट्रीज ने प्रतापनगर थाने में 1448 करोड़ रुपए की शेयर धोखाधड़ी एवं अवैध वसूली को लेकर केरल के नामी परिवार के खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया है। उदयपुर के किसी थाने में इतनी बड़ी रकम से जुड़ी जालसाजी का यह पहला मामला है। जिसमें 33 साल पहले 3500 शेयर्स को खोना बताकर कंपनी से डुप्लीकेट प्रमाण पत्र जारी कराए गए और उन्हें बेच दिया गया। बाद में शेयर्स की मूल प्रति के आधार पर 1448 करोड़ रुपए की मांग की गई। जिसकी शिकायत सेबी तथा वित्त मंत्रालय नकार चुकी है। प्रतापनगर पुलिस ने रिपाेर्ट के आधार पर अवैध वसूली, धाेखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज पेश करने में मुकदमा दर्ज किया है।

मिली जानकारी के अनुसार पीआई कंपनी के प्रतिनिधि अजय वर्मा ने केरल राज्य एर्नाकुलम वलावी हाउस, कोच्ची निवासी बाबू जी. वलावी, डाॅ. मैथ्यू जी. वलावी, अचम्मा जाेसेफ, प्रसन्ना विहार निवासी सेबेस्टियन डाेमिनिक, काेट्टायम बाेर्ड राेड निवासी जार्ज डाेमिनिक कुरुसुमुत्तिल और मुंबई के मलाड निवासी काेचुथ्रेसिया एंटाे के खिलाफ केस दर्ज कराया है। से सभी आरोपी एक ही परिवार के हैं। इन लोगों ने वर्ष 1978 में बाजार से एक साथ 3500 शेयर खरीदे थे। इनके मूल प्रमाण पत्र खाेना बताकर कंपनी से डुप्लीकेट प्रमाण पत्र मांगे थे। कंपनी ने कानून के अनुसार डुप्लीकेट शेयर प्रमाण पत्र जारी किए। जिनके आधार पर आरोपियों ने 1989 में अपने सभी शेयर बेच दिए थे लेकिन उन्होंने 2015 में बाेनस शेयर, लाभांश आदि के लिए धमकियां देना शुरू कर दिया।

सेबी और वित्त मंत्रालय से शिकायत हो चुकी है रद्द

आरोपियों ने पीआई कंपनी के खिलाफ साल 2018 में शेयर पर अपना स्वामित्व बताते हुए सेबी से शिकायत की थी, जिसे 14 जनवरी, 2019 काे आधारहीन माना गया। दूसरी बार शिकायत पर भी सेबी ने कंपनी काे सही माना। इसके बाद आरोपियों ने 30 जनवरी, 2019 काे वित्त मंत्री कार्यालय में शिकायत, जो वहां भी खारिज हो गई। इसके बाद आरोपियों ने मीडिया के जरिए दबाव बनाना शुरू कर दिया।  

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