सीड्स बॉल व मटका पद्धति से रेगिस्तान को हरा-भरा करेगा बीएसएफ, बोर्डर पर 4 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य
भारत की पश्चिमी सरहदी इलाके को बीएसएफ द्वारा हरा-भरा किया जाएगा। बीएसएफ ने मानसून की बारिश में 4 लाख पौधे लगा बोर्डर और बोर्डर से लगते गांवों को हरा-भरा करने का लक्ष्य रखा है। शुरूआत शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर बीएसएफ हैडक्वार्टर पर 300 पौधे लगाकर कर दी है।
जासं, जोधपुर। भारत की पश्चिमी सरहदी इलाके को बीएसएफ द्वारा हरा-भरा किया जाएगा। बीएसएफ ने मानसून की बारिश में 4 लाख पौधे लगा बोर्डर और बोर्डर से लगते गांवों को हरा-भरा करने का लक्ष्य रखा है। इसकी शुरूआत शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर बीएसएफ हैडक्वार्टर पर 300 पौधे लगाकर कर दी है। भारत-पाक सीमा पर व सीमा से लगते गांवों में सिड्स बॉल व मटका पद्धति से 3 लाख पौधे लगाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। शनिवार को बीएसएफ ने विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधारोपण किया है साथ ही आगामी बरसात के मौसम में बाड़मेर जिले से लगते भारत-पाक सीमा पर व सीमा से लगते गांवों में 4 लाख पौधे लगाकर रेगिस्तानी जमीन को हरा-भरा करने की तैयारी शुरू की है।
बीएसएफ जवानों व अधिकारियों ने देखभाल करने का संकल्प लिया
सीमा सुरक्षा बल ने बाड़मेर मुख्यालय सेक्टर हेड क्वार्टर पर विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया इसमें बीएसएफ डीआईजी विनीत कुमार ने पौधारोपण कर इस कार्यक्रम की शुरुआत की। सेक्टर हेड क्वार्टर में बीएसएफ जवानों व अधिकारियों ने 300 अलग-अलग किस्म के पौधे लगाकर उनको बड़े होने तक देखभाल करने का संकल्प लिया है।
BSF बटालियंस में सिड्स बॉल बनाकर तीन लाख पौधे तैयार कर रहे
बीएसएफ डीआईजी विनीत कुमार के अनुसार बीएसएफ ने बीड़ा उठाया है कि इस रेगिस्तानी इलाके में पौधे लगाकर जमीन को हम हरा भरा करेंगे। बीएसएफ का एक लाख और पौधे लगाने का प्लान है जिसको लेकर बीएसएफ फॉरेस्ट विभाग से पौधे लाकर इनको कलेक्ट करने में जुट गई है। इसके साथ ही भारत पाक सीमा पर तैनात BSF की सभी बटालियंस में नर्सरी बनाई गई है जिसमें सिड्स बॉल बना कर तीन लाख पौधे तैयार किये जा रहे हैं जो पौधे तैयार होते ही बारिश के मौसम में 3 लाख पौधे बीएसएफ सरहद सहित सीमावर्ती गांव में लगाएंगी।
मटका पद्धति से सींचकर पौधों को बड़ा करने का पूरा प्लान किया तैयार
पौधारोपण के दौरान जहां पानी की कमी है वहां बीएसएफ पानी पहुंचा कर इनको मटका पद्धति से सींचकर पौधों को बड़ा करने का पूरा प्लान तैयार किया है। इसको लेकर नीम, शरेष, गूगल, कनेर, मीठा नीम सहित सैकड़ों पौधे तैयार किए है। आयुर्वेदिक नर्सरी में एलोवेरा, गूगल, नींबू, सदाबहार, नागफनी, तुलसी, मेहंदी, धतुरा, कैर, इमली, अमरूद सहित विभिन्न औषधीय पौधे लगाए हैं।
क्या है सीड्स बॉल तकनीक और मटका पद्धति
मरुस्थल में पौधे लगाने के लिए सीड्स बॉल व मटका पद्धति सबसे कारगर है। यहां नमी व पानी की कमी होने की वजह से थोड़े पानी से अधिक पौधे पनपाने के लिए यह विधि अपनाई जाती है। सीड्स बॉल में गीले गोबर में स्थानीय पर्यावरण के अनुकूल बीजों को रखकर गोबर की बॉल बना दी जाती है। इसके बाद यह सूख जाती है लेकिन इसमें कई दिनों तक नमी रहती है।
एक मटकी भरने के बाद पंद्रह दिन तक पौधे को नियमित पानी मिलता रहता है
इन बॉल्स को मरुस्थल में मानसून आने के दौरान जमीन में कुछ इंच नीचे गाड़ दी जाती है। इसके बाद पौधे अपने आप अंकुरित होने लगते हैं। पानी की कमी को देखते हुए पौधे लगाने के दौरान उसके पास मे मटकी के तल में छेद कर जमीन में गाड़ दी जाती है। इसके बाद इसे पानी भर दिया जाता है। एक मटकी भरने के बाद पंद्रह दिन तक उस पौधे को नियमित पानी मिलता रहता है।