Rajasthan: अलवर मॉब लिंचिंग में आरोपितों की जमानत याचिका खारिज
Alwar Mob Lynching हाईकोर्ट ने दोनों आरोपितों विजय कुमार व धर्मेंद्र कुमार की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने फैसला सुनाया। राज्य सरकार की ओर से सरकारी अधिवक्ता राजेन्द्र यादव ने जमानत का विरोध करते कहा कि आरोपितों का बाहर आना खतरनाक है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Alwar Mob Lynching: राजस्थान में अलवर मॉब लिचिंग मामले के आरोपितों की जमानत याचिका खारिज हो गई है। हाईकोर्ट ने दोनों आरोपितों विजय कुमार और धर्मेंद्र कुमार की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने फैसला सुनाया। राज्य सरकार की ओर से सरकारी अधिवक्ता राजेन्द्र यादव ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपितों का बाहर आना खतरनाक है। दो साल पहले 20 जुलाई, 2018 को मॉब लीचिंग में रकबर खान की हत्या हुई थी। अकबर खान उर्फ रहबर खान अपने गांव में ही डेयरी का व्यापार शुरू करना चाहता था। इसके लिए वह कुछ लोगों से कर्ज भी लिया था। वह अपने दोस्त असलम के साथ अलवर के लालवंडी गांव दो गाय खरीदने गया था।
दोनों ने वहां 60 हजार रुपये में दो गाय खरीदी थी। रहबर गायों के पीछे-पीछे चल रहा था, जबकि असलम मोटरसाइकिल पर किनारे चल रहा था। इसी बीच, फायरिंग की आवाज सुनाई दी और कुछ लोग यह कहते हुए उनके पीछे दौड़े कि कोई गाय चुराकर लिए जा रहा है। असलम के अनुसार, लोग उनकी तरफ आ रहे थे तो वह भय के कारण खेतों में छिप गया था। कुछ लोगों ने रबहर को पकड़ लिया और उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। रहबर खान हरियाणा के मेवात जिले का रहने वाला था। रहबर के घर में पत्नी, माता-पिता और सात बच्चे हैं। इस मामले में पुलिस ने आरोपिताो को गिरफ्तार किया, जिसका ट्रायल चल रहा है। आरोपितों ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी लगाई थी। कोर्ट ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि राजस्थान के अलवर में हुए मॉब लिंचिंग मामले में राज्य सरकार ने मान लिया था कि कथित गोतस्कर अकबर उर्फ रकबर की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी। सरकार ने कहा है कि घटना के बाद पुलिस को सबसे पहले पीडि़त को अस्पताल लेकर जाना चाहिए था, लेकिन वह गाय की हिफाजत में लग गई थी।