Rajasthan: एससी, एसटी वर्ग के विकास की गारंटी देगी गहलोत सरकार, बनेगा कानून
Ashok Gehlot government राजस्थान में गहलोत सरकार मनरेगा की तर्ज पर एससीएसटी के विकास का कानून बनाएगी। विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद कानून बनेगा।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Ashok Gehlot government: राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार अब अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी, एसटी) वर्ग के विकास की गारंटी देगी। इसके लिए कानून बनाया जाएगा। गहलोत सरकार एससी, एसटी वर्ग के लिए योजना बनाने के साथ ही बजट का आवंटन करेगी और योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाएगा। योजनाओं पर खर्च से लेकर उनका लाभ वास्तविक रूप से धरातल पर पहुंचे यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने को लेकर सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। अगले विधानसभा सत्र में इस पर विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। गहलोत सरकार मनरेगा की तर्ज पर एससी,एसटी के विकास का कानून बनाएगी। विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद कानून बनेगा। कानून बनने के बाद एससी,एसटी के विकास की योजनाओं को धरातल पर लागू करने के लिए प्रशासनिक मशीनरी बाध्य हो जाएगी। सरकारी मशीनरी की जवाबदेही तय होगी।
प्रदेश की 32 फीसद जनसंख्या पर गहलोत का फोकस
प्रदेश में एससी,एसटी के विकास के लिए अभी कई तरह की योजनाएं चल रही हैं। सभी सरकारी विभागों में एससी सब प्लान और टीएसपी सब प्लान के लिए अलग से बजट का प्रावधान होता है। गहलोत सरकार ने ही हर विभाग में एससी सब प्लान और टीएसपी सब प्लान का बजट अलग से रखने का प्रावधान शुरू किया था। अब इस पर कानून बनाने की तैयारी है। साल,2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में एससी की जनसंख्या 17.83 फीसदी और एसटी 13.48 फीसदी है।इन दोनों वर्गों की कुल आबादी 32 फीसदी है। प्रदेश के बजट में अनुसूचित जाति उपयोजना और जनजाति उपयोजना के तहत इनकी जनसंख्या के अनुपात में अलग से बजट प्लानॅ बनाया हुआ है।
राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एससी,एसटी के विकास की योजनाओं को धरातल पर लागू करने की गारंटी देने का कानून लाने की सीएम घोषणा कर चुके हैं। दरअसल,कभी कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक रहे एससी और एसटी की के परंपरागत वोट बैंक के पार्टी से अलग होने से पिछले कुछ सालों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सीएम गहलोत ने इन्हे विकास की गारंटी देने को लेकर कानून बनाने का वादा किया है। नया बनने वाला कानून इस बड़े वोट बैंक को कांग्रेस के पक्ष में मजबूती से जोड़ने की कवायद माना जा रहा है। राजनीतिक क्षेत्र में इस प्रस्तावित कानून की अभी से चर्चा शुरू हो गई है।