Rajasthan Politics: मंत्रिमंडल विस्तार पर अशोक गहलोत की राहुल और प्रियंका गांधी के साथ हुई चर्चा, बनी ये रणनीति
Rajasthan Politics सूत्रों के अनुसार पार्टी आलाकमान चाहता है कि अशोक गहलोत एक बार सभी मंत्रियों के इस्तीफे लें और फिर नए सिरे से मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कर किया जाए लेकिन सीएम दो से तीन मंत्रियों को हटाकर खाली स्थानों पर नए मंत्री बनाना चाहते हैं।
जयपुर, जागरण संवाददाता। मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर राजस्थान के कांग्रेसियों का इंतजार अब खत्म हो सकता है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के विधायकों को सत्ता और संगठन में महत्व मिल सकता है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ शनिवार देर शाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लंबी बैठक हुई। इस बैठक में प्रदेश प्रभारी अजय माकन व संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, बैठक में राहुल व प्रियंका ने मंत्रिमंडल में फेरबदल की बात कही। इस पर गहलोत ने हामी भरी, लेकिन उन्होंने बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायकों व पायलट खेमे की बगावत के समय सरकार को बचाने वाले निर्दलीय विधायकों को भी मंत्रिमंडल और राजनीतिक नियुक्तियों में जगह देने की बात कही। गहलोत ने पायलट खेमे के दो विधायकों द्वारा की जाने वाले बयानबाजी का विवरण भी राहुल गांधी के समक्ष रखा।
बनी ये रणनीति
सूत्रों के अनुसार, पार्टी आलाकमान चाहता है कि गहलोत एक बार सभी मंत्रियों के इस्तीफे लें और फिर नए सिरे से मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कर किया जाए, लेकिन सीएम दो से तीन मंत्रियों को हटाकर खाली स्थानों पर नए मंत्री बनाना चाहते हैं। शनिवार को हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। हालांकि बाद में गहलोत ने आलाकमान की मंशा के अनुसार, फैसला करने की बात कही है। सूत्रों के अनुसार, दो विधानसभा सीटों वल्लभनगर और धरियावद पर 30 अक्टूबर होने वाले उप चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करने पर सहमति बनी है। संगठनात्मक नियुक्तियां नवंबर में होगी। उल्लेखनीय है कि 200 सदस्यीय विधानसभा के 15 फीसद के हिसाब से राज्य में 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। वर्तमान में 21 मंत्री है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच खींचतान जारी है। इसी खींचतान के बीच पायलट ने कहा था कि पद पर बैठा व्यक्ति भी इंसान है। हमेशा कोई पद पर रहता भी नहीं है। यह जनता है, जितना समय देती है, उतने समय सिंहासन पर बैठोगे। जब जनता करवट बदलती है तो इतनी जोर से पलटी पड़ती है कि नेता को पता ही नहीं पड़ता क्या हो रहा है, लेकिन जिन लोगों के अंदर यह घमंड और अहंकार आ जाता है कि हम जीवन के अंतिम पड़ाव तक सत्ता में रहेंगे, वह गलत है।