Rajasthan Politics: अजय माकन नहीं पूरा कर सके वादा, सचिन पायलट बना रहे दबाव
Rajasthan Politics अजय माकन ने अपने वादे को पूरा कराने को लेकर कई बार मुख्यमंत्री से मुलाकात की लेकिन मुख्यमंत्री ने माकन की बात मानने को तैयार नहीं है। गहलोत चाहते हैं कि वह अपनी मर्जी से मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियां करें।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद अब विधानसभा का मानसून सत्र प्रारंभ हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले विधेयकों और विपक्ष के हमले से निपटने को लेकर तैयारी में जुटी है। वहीं, भाजपा किसान कर्ज माफी, बेरोजगारों को भत्ता देने का वादा पूरा नहीं होने सहित कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है। इसी बीच, कयास लगाए जा रहे हैं कि 18 सितंबर को विधानसभा सत्र समाप्त होने के बाद दोनों ही पार्टियां धरियावद और वल्लभनगर सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों में जुट जाएंगी। पार्टियों को उम्मीद है कि चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में दोनों विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित कर सकता है। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का काम फिर अटकने को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं।
कांग्रेस विधायक और नेताओं का मानना है कि उन्हें सत्ता में भागीदारी देने का आलाकमान का प्रयास फिलहाल सफल होता नहीं दिख रहा है। प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने एक साल पहले अशोक गहलोत सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर कांग्रेसियों को दिसंबर तक मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का काम शुरू करने का भरोसा दिलाया था। इसके बाद माकन ने जयपुर में मीडिया से बात करते हुए इस साल 31 जनवरी और फिर अगस्त तक वादा पूरा करने की बात कही। माकन ने अपने वादे को पूरा कराने को लेकर कई बार मुख्यमंत्री से मुलाकात की, लेकिन मुख्यमंत्री ने माकन की बात मानने को तैयार नहीं है। गहलोत चाहते हैं कि वह अपनी मर्जी से मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियां करें। वहीं, माकन इस काम में खुद का दखल चाहते हैं।
सचिन पायलट लगातार बना रहे दबाव
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट लगातार कांग्रेस आलाकमान पर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि उनसे किया गया वादा पूरा होना चाहिए। पायलट का कहना है कि पिछले साल उनकी बगावत के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, स्वर्गीय अहमद पटेल और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सत्ता और संगठन में उनके समर्थकों को समायोजित करने का वादा किया था, लेकिन एक साल से भी अधिक समय व्यतीत होने के बावजूद न तो मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सका और न ही राजनीतिक नियुक्तियां हुई हैं। पायलट अपने खेमे के चार से पांच विधायकों को मंत्री और राजनीतिक नियुक्तियों में अशोक गहलोत समर्थकों के समान महत्व चाहते हैं। पायलट के दबाव के बीच आलाकमान ने कई बार गहलोत को मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करने का संदेश भी दिया, लेकिन वह फिलहाल यह सब करने के मूड में नजर नजर नहीं आ रहे हैं।