डा. त्रेहन हत्याकांड: 38 साल पुराने हत्या के मामले में पूर्व सीपीएस विरसा सिंह वल्टोहा बरी

डा. सुदर्शन त्रेहन हत्याकांड में एडिशनल सेशन जज चरणजीत अरोड़ा की अदालत ने पूर्व सीपीएस व शिअद के प्रवक्ता विरसा सिंह वल्टोहा को सुबूतों के अभाव में वीरवार को बरी कर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 11:29 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 11:29 PM (IST)
डा. त्रेहन हत्याकांड: 38 साल पुराने हत्या के मामले में पूर्व सीपीएस विरसा सिंह वल्टोहा बरी
डा. त्रेहन हत्याकांड: 38 साल पुराने हत्या के मामले में पूर्व सीपीएस विरसा सिंह वल्टोहा बरी

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : डा. सुदर्शन त्रेहन हत्याकांड में एडिशनल सेशन जज चरणजीत अरोड़ा की अदालत ने पूर्व सीपीएस व शिअद के प्रवक्ता विरसा सिंह वल्टोहा को सुबूतों के अभाव में वीरवार को बरी कर दिया। प्रदेश में कैप्टन अमरिदर सिंह की सरकार के दौरान इस मुकदमे का अदालत में चालान पेश हुआ था। उधर वल्टोहा ने अदालत के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि कैप्टन सरकार ने साजिश के तहत झूठे मामले में फंसाया था। इसमें अदालत ने मुझे इंसाफ दिया है।

30 सितंबर 1983 की शाम को पट्टी निवासी डा. सुदर्शन त्रेहन मरीजों का इलाज कर रहे थे। इस दौरान उनकी गोलियां मारकर हत्या की गई। थाना पट्टी में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। बाद में पुलिस ने गांव भूरा कोहना निवासी हरदेव सिंह व बलदेव सिंह को इस मामले में नामजद करके पूछताछ की थी। दोनों ने बताया था कि डा. सुदर्शन त्रेहन हत्याकांड में विरसा सिंह वल्टोहा भी शामिल हैं। गौर हो कि जून 1984 में श्री हरिमंदिर साहिब से विरसा सिंह वल्टोहा को गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल बंद कर दिया गया था। छह नवंबर 1990 को अमृतसर की अदालत ने हत्याकांड के आरोपित हरदेव सिंह व बलदेव सिंह को बरी कर दिया था जबकि अदालत में पेश न होने पर विरसा सिंह वल्टोहा को भगोड़ा करार दे दिया था। प्रदेश में कैप्टन की सरकार बनते ही डा. त्रेहन हत्याकांड मामला दोबारा चर्चा में आया था। इस दौरान थाना पट्टी से एफआइआर के संबंध में सारा रिकार्ड गायब पाया गया था। तरनतारन पुलिस ने विरसा सिंह वल्टोहा के खिलाफ एक फरवरी 2019 को जिला सेशन अदालत में चालान पेश किया था। जबकि छह मार्च 2020 को मामले की सुनवाई दौरान हत्याकांड से संबंधित चार गवाहों की मौत होने की रिपोर्ट मिली थी। इन गवाहों में मोहन सिंह, लाभ सिंह, अजीत सिंह व हरनाम सिंह का नाम शामिल था। अदालत ने तत्कालीन एसएसपी से इन गवाहों की मौत की रिपोर्ट मांगी थी। पुलिस ने चारों गवाहों की मौत होने बाबत अदालत को रिपोर्ट सौंप दी थी। ठोस गवाह नहीं मिले

डा. त्रेहन मामले में एसपी जसवंत कौर के अलावा पांच सरकारी डाक्टरों की गवाही हुई जबकि एक महिला सुखविदर कौर प्राइवेट गवाह के तौर पर अदालत में पेश हुई थी। कुल मिलाकर सरकारी गवाहों की गवाही तो हुई, परंतु चश्मदीद के तौर पर कोई ठोस गवाह अदालत में पेश नहीं हुआ। हालांकि अधिकतर गवाहों की मौत भी हो चुकी है। कैप्टन सरकार ने किया सियासी करियर खराब करने का प्रयास

विरसा सिंह वल्टोहा ने कहा कि न्यायप्रणाली पर मेरा पूरा भरोसा था। कैप्टन सरकार ने साजिश करके मुझे इसमें फंसाया गया था। उन्होंने दावा किया कि वर्ष 1991 में अमृतसर की अदालत द्वारा उक्त केस डिस्चार्ज कर दिया गया था। कैप्टन सरकार ने मेरा सियासी कैरियर खराब करने लिए उक्त केस का दोबारा चालान अदालत में पेश किया गया था।

chat bot
आपका साथी