गांव पट्ठेविंडपुर में श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने जगाई थी जोत

तरनतारन : पहली पात्शाही श्री गुरु नानक देव जी के पिता मेहता कालू जी के जन्म स्थान के तौर पर जाने जाते गांव लुहार को पहले गांव पट्ठेविंडपुर के नाम से जाना जाता था। अब यहां पर गुरुद्वारा डेहरा साहिब स्थापित है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Nov 2018 01:22 AM (IST) Updated:Tue, 20 Nov 2018 01:22 AM (IST)
गांव पट्ठेविंडपुर में श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने जगाई थी जोत
गांव पट्ठेविंडपुर में श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने जगाई थी जोत

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : पहली पात्शाही श्री गुरु नानक देव जी के पिता मेहता कालू जी के जन्म स्थान के तौर पर जाने जाते गांव लुहार को पहले गांव पट्ठेविंडपुर के नाम से जाना जाता था। अब यहां पर गुरुद्वारा डेहरा साहिब स्थापित है।

विधान सभा हलका खडूर साहिब में आते गांव लुहार के इतिहास की बात करें तो करीब 1200 की आबादी वाले इस गांव में सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी और छठी पातशाही श्री गुरु हरिगोबिंद साहिब जी के भी चरण पड़े हैं। यहां बने गुरुद्वारा साहिब को लोकल कमेटी द्वारा चलाया जाता है।

क्या है गांव का इतिहास

करीब 600 वर्ष पहले इसे पट्ठेविंडपुर गांव के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि इसी गांव में बाबा मेहता कालू जी का जन्म हुआ था। बाबा मेहता कालू जी ने इसी गांव से शिक्षा हासिल की। पढ़ाई में होशियार होने कारण बाबा मेहता कालू जी को पटवार की नौकरी मिल गई। राय बुलार के साथ बाबा मेहता कालू जी का काफी प्रेम था। राय बुलार के कहने पर बाबा मेहता कालू गांव भट्ठेविंडपुर को छोड़कर राय भोए की तलवंडी (अब पाकिस्तान) चले गए। वहां पर माता तृप्ता जी की कोख से श्री गुरु नानक देव जी ने अवतार धारण किया। राय भोए की तलवंडी को अब ननकाना साहिब जी के नाम से जाना जाता है। इतिहास के मुताबिक युवा अवस्था में पिता जी के कहने पर कारोबार के लिए गुरु नानक देव जी जब सुल्तानपुर लोधी जा रहे थे तो उनके साथ भाई बाला जी और भाई मरदाना जी भी थे। रास्ते में जाते समय गुरु जी को पता चला कि गांव पट्ठेविंडपुर उनका पुश्तैनी गांव है। श्री गुरु नानक देव जी कुछ समय के लिए यहां पर ठहर गए। इस गांव में उस समय बेदी परिवार रहते थे। उन परिवारों ने श्री गुरु नानक देव जी को यहां से जाने के लिए कहा। बेदियों का कहना था कि चोला ओढ़ कर लोगों को अपने पीछे लगाकर पुश्तैनी जमीन पर कब्जा करने आए हो। गुरु जी ने बेदियों को समझाया कि वे यहां कुछ देर रुकने आए हैं। उन्हें जमीन का कोई लालच नहीं। बेदियों ने गुरु साहिब जी का विरोध किया, जिस पर श्री गुरु नानक देव जी गांव को छोड़ यह कह गए कि गांव पट्ठेविंडपुर अब थेह (बर्बाद) हो जाएगा और सच्चाई की जोत सदा जलती रहेगी। समय गुजरने के बाद यहां पर बसने वाले बेदी परिवार गांव छोड़ चले गए क्योंकि यह गांव थेह बन चुका था।

आज भी जलती है गुरु साहिब की जगाई जोत

छठी पातशाही श्री गुरु हरिगोबिंद साहिब जी चोहला साहिब से जब गुरुद्वारा रोड़ी साहिब जा रहे थे तो 300 कदम की दूरी पर उन्होंने थेह पर ध्यान टिकाया। संगत ने पूछा कि गुरु जी आपका उपदेश है कि किसी मड़ी मसान (श्मशानघाट) को नहीं पूजना तो आप थेह की ओर क्यों श्रद्धा से केंद्रित हुए हैं। गुरु साहिब जी ने संगत को उत्तर दिया कि यह वही थेह है यहां पर जोत जगेगी। श्री गुरु हरिगोबिंद साहिब जी द्वारा जगाई गई जोत आज भी गुरुद्वारा डेहरा साहिब में जलती है।

लोकल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष गु¨रदर सिंह टोनी ने बताया कि करीब 40 वर्ष पहले गुरुद्वारा साहिब को आधुनिक टच देते हुए यहां पर सरोवर का निर्माण किया गया। इसके अलावा संगत के बैठने के लिए अच्छी व्यवस्था की गई। शिरोमणि गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा अमृतसर साहिब से धार्मिक गुरुधामों के दर्शनों के लिए जो निशुल्क बस सेवा चलाई जाती है वह गुरुद्वारा डेहरा साहिब में भी पहुंचती है।

संगत का स्वर्णिम इतिहास से अवगत होना जरूरी

गुरु घर के दर्शन करने के लिए मुंबई से यहा परिवार समेत पहुंचे प्रिथीपाल सिंह ने बताया कि पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी का 550 वां जन्म दिन मनाने में जुटी संगत को उक्त गुरुद्वारा साहिब के इतिहास से अवगत करवाना जरूरी है। गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी जरनैल सिंह ने बताया कि गुरुघर आने वाले संगत को इतिहास से अवगत करवाने लिए गुरुद्वारा साहिब के अंदर दीवार पर इतिहास को लिखा गया है।

गुरु पर्व पर लगाए जाएंगे 550 पौधे

डीसी प्रदीप सभ्रवाल ने कहा कि गुरद्वारा डेहरा साहिब का इतिहास बहुत अनमोल है। इसको मुख्य रखते हुए गांव में लोगभलाई स्कीमों के तहत कैंप लगाए जाएंगे, जिसमें 22 विभागों के अधिकारी मौजूद होंगे। गांव के विकास के लिए सरकार द्वारा विशेष योजना बनाई जा रही है। गुरुद्वारा डेहरा साहिब में 21 को श्री अखंड पाठ साहिब आरंभ होगे। जिनका भोग 23 नवंबर को पड़ेगा। इस दौरान 550 पौधे लगाए जाएंगे।

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