पुत्रा दे दानी बाबा बुड्ढा जी का जोड़ मेला कल से होगा शुरू

बाबा बुड्ढा जी का जन्म छह अक्टूबर 1506 को अमृतसर जिले के गांव कत्थूनंगल में हुआ था।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Oct 2021 04:44 PM (IST) Updated:Sat, 02 Oct 2021 04:44 PM (IST)
पुत्रा दे दानी बाबा बुड्ढा जी का जोड़ मेला कल से होगा शुरू
पुत्रा दे दानी बाबा बुड्ढा जी का जोड़ मेला कल से होगा शुरू

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : बाबा बुड्ढा जी का जन्म छह अक्टूबर 1506 को अमृतसर जिले के गांव कत्थूनंगल में हुआ था। बाबा जी ने अपना जीवन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को समर्पित रखा। श्री दरबार साहिब, अमृतसर के प्रथम हेड ग्रंथी की सेवा निभाने वाले बाबा बुड्ढा जी की याद में वार्षिक जोड़ मेला माझे के ऐतिहासिक स्थान गुरुद्वारा बीड़ साहिब में चार अक्टूबर से आरंभ हो रहा है। इस जोड़ मेले में देश-विदेश से लाखों की तादाद में संगत शिरकत करेगी। जिसके लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।

मैनेजर सतनाम सिंह रियाड़ ने बताया कि चार अक्टूबर को गुरुद्वारा साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पाठ आरंभ होंगे। हेड ग्रंथी ज्ञानी निशान सिंह गंडीविड द्वारा संगत को सिख इतिहास से अवगत करवाया जाएगा। पांच अक्टूबर को गुरुद्वारा साहिब से नगर कीर्तन का आयोजन होगा। पांच प्यारों की अगुआई में नगर कीर्तन दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप को सुनहरी पालकी साहिब में सजाया जाएगा। छह अक्टूबर को श्री अखंड पाठ साहिब के भोग के उपरांत सुनहरी पालकी साहिब को नगर कीर्तन के स्वरूप में दीवान हाल में सजाया जाएगा। ज्ञानी जसवंत सिंह व बाबा बंता सिंह मुंडापिड की ओर से संगतों को गुरबाणी से निहाल किया जाएगा। सात अक्टूबर को धार्मिक दीवान की समाप्ति के मौके पर एसजीपीसी अध्यक्ष जगीर कौर समेत कई शख्सियतें हाजिरी भरेगी। शाम को खालसा स्कूल में कबड्डी के शो मैच मुकाबले करवाए जाएंगे।

विधायक डा. धर्मबीर अग्निहोत्री, पूर्व विधायक हरमीत सिंह संधू, दविदर सिंह लाली ढाला, बाबा निर्मल सिंह ढाला, भाई मनजीत सिंह, अलविदरपाल सिंह पखोके, जिला परिषद मेंबर मोनू चीमा द्वारा कबड्डी खिलाडिय़ों को सम्मानित किया जाएगा। माता गंगा जी को दिया था पुत्र प्राप्ती का वरदान

हेड ग्रंथी ज्ञानी निशान सिंह गंडीविड ने बताया कि 16 अगस्त 1604 को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के स्थापना दिवस के मौके पर बाबा बुड्ढा साहिब को प्रथम हेड ग्रंथी नियुक्त किया गया था। सिख कौम के इतिहास में बाबा बुड्ढा जी की जीवनी काफी अहम मानी जाती है। करीब 13 वर्ष की आयु में उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी के दर्शन किए थे। गुरु नानक देव जी ने बाल अवस्था में (बाबा बुड्ढा जी को) देखा तो वह काफी प्रभावित हुए। जिसके बाद बाबा बुड्ढा जी ने गुरु नानक देव जी को लगातार भोजन करवाना शुरू कर दिया। उन्होंने बाबा नानक देव जी को अपना गुरु स्वीकार करते हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को समर्पित हो गए। 1604 में बाबा बुड्ढा जी को श्री दरबार साहिब, अमृतसर के प्रथम हेड ग्रंथी की जिम्मेदारी सौंपी गई। पंचम पातशाह श्री गुरु अर्जुन देव जी के घर जब संतान नहीं हो रही थी तो उनकी धर्म पत्नी माता गंगा जी बाबा बुड्ढा साहिब जी से आशीर्वाद लेने लिए गुरुद्वारा बीड़ साहिब पहुंची, परंतु बाबा बुड्ढा जी ने यह कहते उनको वापस भेज दिया कि मैं तो गुरुओं का दास हूं। आशीर्वाद देने की क्षमता तो स्वयम गुरु जी में होती है। इस बात का पता जब श्री गुरु अर्जुन देव जी को लगा तो उन्होंने समझाया कि आप मिस्सी रोटी, प्याज व लस्सी लेकर नंगे पांव सेवक की भांति जाए। माता गंगा जी ने जब ऐसा किया तो बाबा बुड्ढा जी ने वरदान देते कहा कि आप जी के घर में बहादुर संतान पैदा होगी। बाबा बुड्ढा जी के इस आशीर्वाद से श्री गुरु हरगोबिद साहिब जी का जन्म हुआ था।

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