समाज भीख मांगने वाले बच्चों के हाथों में किताब थमाए: चेयरपर्सन अमनप्रीत कौर
बच्चे देश का भविष्य होते हैं। वह आने वाले भारत की नींव रखेंगे।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : बच्चे देश का भविष्य होते हैं। वह आने वाले भारत की नींव रखेंगे। ऐसे में जरूरी है कि हर बच्चा शिक्षित हो। याद रखें कि अगर हम अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए अपनी जिंदगी भर की पूंजी खर्च कर सकते हैं तो सड़क पर नंगे पाव चलने वाले बच्चों के प्रति भी हमारा फर्ज बनता है। भीख मागने और होटल-ढाबों पर बर्तन माजने वाले बच्चों के हाथों में यदि हम किताब थमा दें तो इन बच्चों का भविष्य उज्जवल बना सकते हैं। इससे हमें सम्मान और आत्मिक सुख मिलेगा। क्योंकि बाल मजदूरी हमारे समाज के माथे पर क्लंक से कम नहीं है। इस क्लंक को धोकर हम अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। ऐसे में हमें दो कदम पीछे खींचने की बजाय दोनों हाथ आगे बढ़ाने चाहिए। इसके लिए सभी लोगों को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। ये बातें जिला बाल भलाई कमेटी की चेयरपर्सन अमनप्रीत कौर ने दैनिक जागरण के साथ साक्षत्कार के दौरान कहीं। पेश हैं उनके बातचीत के अंश। सवाल : बाल मजदूरी रोकने के लिए कानून है, फिर भी यह खत्म क्यों नहीं हो रही?
जवाब : बाल मजदूरी हमारे समाज के माथे पर क्लंक है, क्योंकि हम समाज में कई लोग बाल मजदूरी के खिलाफ बात तो करते हैं, परंतु जब सवाल अपने घर से जुड़ा हो तो कभी नहीं सोचते कि हमारे घर में सफाई करने वाली महिला अपने साथ छोटे बच्चों को क्यों लाती है। हम होटल ढाबे में खाना खाने जाते हैं तो वहा पर बच्चों को नन्हें हाथों से बर्तन माजते हुए देखते हैं। यह बाल मजदूरी जहा कानूनी अपराध है, वहीं सामाजिक तौर पर बड़ी बुराई भी है। हमें इस बुराई को मिटाने के लिए अपनी सोच बदलनी पड़ेगी। सवाल : समाज सेवी संस्थाओं की अभी तक जिले में क्या जिम्मेदारी रही है?
जवाब : बाल मजदूरी को रोकने के लिए प्रशासन और समाज सेवी संस्थाएं लगातार काम कर रही हैं। वर्ष 2017 में जिला बाल भलाई कमेटी के चेयरमैन बनकर डा. दिनेश गुप्ता द्वारा अच्छा काम किया गया। इसी तरह समाज सेवी संगठन भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं परंतु आíथक तौर पर मंदी के साथ-साथ जागरूकता के अभाव के कारण यह सामाजिक बुराई अभी भी पनप रही है। इसे रोकने के लिए जिला बाल भलाई कमेटी की ओर से लगातार सेमिनार लगाए जाते हैं। इनके माध्यम से स्कूली बच्चों को जागरूक करने से मुहिम और प्रचार आगे बढ़ रहा है। सवाल : बाल विवाह को रोकने के लिए अभी तक नरमी क्यों नजर आती है?
जवाब : बाल विवाह के खिलाफ कठोर दंड की व्यवस्था है। वहीं तरनतारन जिले में बाल विवाह का मामला बहुत कम सामने आता है। आज के दौर में इंटरनेट मीडिया के चलते लोगों में जागरूकता फैल चुकी है। फिर भी अगर कहीं बाल विवाह का मामला सामने आए तो उसके लिए हेल्पलाइन नंबर 1098 पर शिकायत की जा सकती है। शिकायत मिलते ही तत्काल पुलिस प्रशासन को हरकत में लाकर ठोस कार्रवाई अमल में लाई जाती है। सवाल : बच्चियों से छेड़छाड़ के मामलों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
जवाब : समाज में अगर ऐसा कोई अपराध होता है तो उस पर ठोस कार्रवाई भी अमल में लाई जाती है। स्कूलों में छोटे बच्चों को गुड टच, बेड टच के बारे में जागरूक करने के लिए सेमिनार करवाए जा रहे हैं। आज के दौर में नशे का शिकार लोग छोटी बच्चियों के साथ क्रूरता वाला व्यवहार करते हैं। वह नशे में मानसिकता भुलाकर अपने खून से जुड़े रिश्तों को भी कलंकित करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए जिला बाल भलाई कमेटी जहा अपने तौर पर काम कर रही है, वहीं लीगल अधिकारियों की राय से आरोपितों को सजा दिलाने के लिए भी जिम्मेदारी निभा रही है। सवाल : बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपित अकसर बरी हो जाते हैं, इसकी क्या वजह होती है?
जवाब : बच्चियों के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़, घरेलू हिंसा के मामले में एफआइआर दर्ज होने के बाद अकसर राजीनामे हो जाते थे। इनके पीछे आíथक लालच व अन्य दबाव माना जाता रहा है। परंतु अब कानून का डंडा इतना सख्त है कि मुकदमा दर्ज करते समय 4-6 पोक्सो एक्ट लगाया जाता है। इस एक्ट के लगने से राजीनामा होना नामुमकिन हो जाता है। हमारे समाज को चाहिए कि बच्चियों को सम्मान देते हुए उनको इस कदर शिक्षित करें कि वह ऊंचे मुकाम पर पहुंचकर स्वजनों के साथ अपने गाव-शहर का नाम रोशन करें। उन्हें देखकर जागरूकता बढ़ेगी और अन्यों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकें।