डिप्रेशन में नहीं, खुश रहकर दी थी कोरोना को मात
कोरोना महामारी का दूसरा दौर पूरी तेजी से आ रहा है। पर हमें इससे घबराने की जरूरत नहीं है। हमारे भीतर जो पाजिटिविटी है उसी से हम कोरोना को मात दे सकते हैं।
जासं, तरनतारन : कोरोना महामारी का दूसरा दौर पूरी तेजी से आ रहा है। पर हमें इससे घबराने की जरूरत नहीं है। हमारे भीतर जो पाजिटिविटी है, उसी से हम कोरोना को मात दे सकते हैं। मैंने भी कोरोना पाजिटिव होने पर डिप्रेशन को अपने आसपास नहीं आने दिया। दिमाग से निकलने वाली पाजिटिव सोच को इस कदर अपने शरीर की ढाल बना लिया कि कोरोना को आखिर भागना ही पड़ा। अगर प्रत्येक मनुष्य अपने अंदर के इंसान को पूरी तरह से मजबूत कर ले तो कोरोना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यह कहना है सिविल सर्जन डा. रोहित मेहता का।
सिविल अस्पताल तरनतारन में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में कोविड मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी बतौर एसएमओ निभा रहे डा. रोहित मेहता 26 जुलाई 2020 को कोरोना पाजिटिव हुए थे। आइसोलेशन वार्ड में 18 घंटे से अधिक समय गुजारने के दौरान डा. मेहता ईएनटी से संबंधित मरीजों का इलाज करते रहे। अचानक छाती में इनफेक्शन महसूस होते ही डा. मेहता ने कोरोना टेस्ट करवाया। रिपोर्ट पाजिटिव आई तो विभाग को खबर करके होम क्वारंटाइन हो गए। 17 दिन के बाद रिपोर्ट नेगेटिव आते ही दोबारा मरीजों की सेवा में लग गए। दैनिक जागरण को डा. रोहित मेहता ने बताया कि खांसी, बुखार, सिर दर्द होने के बावजूद मैंने खुद को ऐसे रखा, जैसे मैं कोरोना पाजिटिव नहीं हूं। दिमाग से निकलने वाली वेव्ज को अपने शरीर की ढाल बनाकर पाजिटिवटी इतनी भर ली कि कोरोना को हारना ही पड़ा। डा. मेहता बताते हैं कि वे क्वारंटाइन के दौरान योग और काढ़ा पीना नहीं भूला। शाम को श्री सुखमणि साहिब जी का पाठ सुनकर बहुत आनंद लेता रहा। श्री हनुमान चालीसा ने भी मुझ पर पूरी कृपा रखी।
टीकाकरण करवाना है जरूरी
डा. रोहित मेहता अब बतौर सिविल सर्जन सेवाएं दे रहे हैं। कोविड से बचाव के लिए जब टीकाकरण मुहिम शुरू हुई तो उन्होंने पहली डोज लगवाकर सेहत विभाग के कर्मियों का हौसला बढ़ाया। अब वह सेकेंड डोज भी लगवा चुके है। उनका कहना है कि कोविड से बचाव के लिए शरीरिक दूरी का पालन, मास्क पहनना और हाथों की सफाई जितना जरूरी है। उतना ही जरूरी टीका लगवाना भी है।