कोरोना के कारण इमरजेंसी केस में रैपिड टेस्ट के बाद करते हैं आपरेट

कोरोना के बढ़ रहे मामलों की बीच सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में अब केवल इमरजेंसी केस में ही आपरेशन किए जाते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 02:00 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 02:00 AM (IST)
कोरोना के कारण इमरजेंसी केस में रैपिड टेस्ट के बाद करते हैं आपरेट
कोरोना के कारण इमरजेंसी केस में रैपिड टेस्ट के बाद करते हैं आपरेट

जासं, तरनतारन : कोरोना के बढ़ रहे मामलों की बीच सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में अब केवल इमरजेंसी केस में ही आपरेशन किए जाते हैं। हालांकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की आमद पहले से काफी कम हो गई है। मरीज का आपरेशन करने से पहले रैपिड टेस्ट करवाया जाता है, ताकि उसकी रिपोर्ट के मुताबिक उसका इलाज किया जा सके।

जिला स्तरीय सिविल अस्पताल, तरनतारन में पहले रोजाना 700 से अधिक मरीजों की आमद होती थी। परंतु कोरोना के बढ़ रहे प्रभाव के चलते अब महज 300 मरीजों की ही रजिस्ट्रेशन हो रही है। गर्भवती महिलाओं के इलाज के अलावा एक्सीडेंट से संबंधित मरीजों को अस्पताल में दाखिल किया जाता है। ऐसे में मरीज को कोरोना की शिकायत तो नहीं, यह जांचने के लिए केवल रैपिड टेस्ट ही लिया जाता है। इसी तरह की प्रक्रिया सिविल अस्पताल पट्टी व खडूर साहिब में अपनाई जा रही है। कुल मिलाकर तीनों सरकारी अस्पतालों में 10 से 15 आपरेशन ही किए जा रहे हैं।

अब बात करें निजी अस्पतालों की तो उनकी पूरे जिले में संख्या 60 के करीब है। जच्चा-बच्चा से संबंधित सेवाएं देने वाले निजी अस्पतालों में केवल रैपिड की रिपोर्ट ही देखी जाती है, क्योंकि दूसरे टेस्ट की रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन का समय लगता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डा. दिनेश गुप्ता कहते हैं कि आरटीपीसीआर की रिपोर्ट आने में वक्त लगना स्वभाविक है। ऐसे में रिपोर्ट के इंतजार में मरीज का नुकसान न हो, इसीलिए रैपिड टेस्ट को पहल दी जा रही है। सिविल अस्पताल के एसएमओ डा. स्वर्णजीत धवन कहते हैं कि रैपिड टेस्ट के माध्यम से संबंधित मरीज का इलाज प्रभावित नहीं होता। उन्होंने कहा कि अस्पताल में नार्मल केसों के मरीज बहुत कम आ रहे है।

chat bot
आपका साथी