सुहाग की रक्षा के लिए 20 किलोमीटर रिक्शा चलाती है हरजीत कौर

सुहाग की सलामती के लिए करवाचौथ का व्रत रखा जाता है ताकि पति की लंबी आयु हो।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Oct 2019 06:08 PM (IST) Updated:Fri, 18 Oct 2019 06:25 AM (IST)
सुहाग की रक्षा के लिए 20 किलोमीटर रिक्शा चलाती है हरजीत कौर
सुहाग की रक्षा के लिए 20 किलोमीटर रिक्शा चलाती है हरजीत कौर

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : सुहाग की सलामती के लिए करवाचौथ का व्रत रखा जाता है, ताकि पति की लंबी आयु हो। ऐसे में 54 वर्षीय हरजीत कौर शायद एक ऐसी बिरला ही पत्नी होगी जो अपने सुहाग की सलामती लिए 20 किलो मीटर रिक्शा चलाती है। इस रिक्शे पर उसका बीमार पति लेटा रहता है। उसका कहना है कि सुहागन का फर्ज पूरा करने लिए मुझे अपनी कोई चिंता नहीं। कपड़े धुले है या हीं। यह चिंता अब उसे नहीं रही। उसे चिंता यह है कि पति सरबजीत सिंह अपने पैरों पर दोबारा खड़ा हो जाए।

लकवे का शिकार होने के बाद बिस्तर पर पड़े पति सरबजीत सिंह की अचानक रीड़ की हड्डी भी टूट गई। घर की गरीबी इस कदर थी कि शादी शुदा बेटे ने पिता के इलाज से हाथ खींच लिए। फिर क्या था हरजीत कौर ने पत्नी का फर्ज निभाते एक ऐसी मिसाल कायम कर दी जो सेहत विभाग के मूंह पर किसी तमाचे से कम नहीं। हर दूसरे दिन पति को रिक्शे पर लेटाकर 20 किलो मीटर तक खुद रिक्शा चलाती है। अमृतसर के गुरनाम नगर निवासी 56 वर्षीय सरबजीत सिंह को छह माह पहले लकवे का अटैक हुआ था। इस अटैक में वह एक बाजू और टांग से दिव्यांग हो गई।

इकलौते बेटे पलविंदर सिंह निंदा ने यह कहते हुए हाथ खींच लिए कि मर्जी से करवाए विवाह से पिता खुश नहीं था। फिर क्या था हरजीत कौर अपने फर्ज का पालन करने लिए बीमार पति को लेकर अपने मायके गांव ठट्ठीखारा में आ गई। अमृतधारी हरजीत कौर सिलाई का काम कर पति का इलाज तो करवा रही है। परंतु उसके पास इतने पैसे नहीं कि वह सरबजीत सिंह को हर दूसरे दिन इलाज लिए तरनतारन ला सके।

पत्नी की मर्यादा को कायम रखने के लिए रिक्शे पर नहीं बैठती हरजीत

हरजीत कौर को गांव के मिस्त्री से एक रिक्शा ले लिया। रिक्शे पर पति को लेटाकर हर दूसरे दिन तरनतारन के निजी डॉक्टर के पास लाती है। करीब 20 किलोमीटर का सफर चार घंटों में करने वाली हरजीत कौर रिक्शे की काठी पर नहीं बैठती। उसका कहना है कि काठी पर सवार होते समय अपने पति से ऊंची लगेगी। पति का दर्जा पत्नी से ऊंचा होता है। इसलिए हरजीत कौर रिक्शे को खीचकर ही सारा सफर तय करती है। हरजीत कौर कहती है कि बीमार पति को रिक्शे पर लेकर जब जाती है तो कई बार आंखों से आंसू टपक जाते हैं, परंतु मेरी प्रशासन द्वारा सुध नहीं ली जा रही।

सरकारी सुविधाओं की मोहताज है सरबजीत

महात्मा गांधी सरबत सेहत योजना के तहत सरबजीत सिंह का कार्ड नहीं बना। कारण यह है कि राशन कार्ड सरबजीत सिंह के शादीशुदा लड़के पलविंदर सिंह ने नष्ट कर दिया है। हरजीत कौर ने बताया कि वह तरनतारन के सिविल सर्जन के पास कई बार अपने बीमार पति को लाकर वास्ता दे चुकी है कि बीमा योजना का कार्ड बनवा दिया जाए। परंतु न तो कार्ड बन पाया और न ही सरकारी अस्पताल से इलाज किया गया। उसकी आर्थिक हालत को देखकर निजी डॉक्टर द्वारा हर दूसरे दिन केवल पट्टी के 50 रुपये ही लिए जाते हैं। अगर सरकारी अस्पताल से उसके पति का इलाज हो जाए तो शायद बुढ़ापा आसानी से कट जाए। मुझे कुछ याद नहीं : अनूप कुमार

सिविल सर्जन डॉ. अनूप कुमार कहते है कि महात्मा गांधी सरबत सेहत योजना तहत कार्ड बनवाना मेरे बस की बात नहीं। सरकार द्वारा तय किए नियम पूरे करने पर ही यह सुविधा मिल सकती है। मुझे याद नहीं कि हरजीत कौर कब अपने बीमार पति को लेकर मेरे पास आई।

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