श्री राम चंद्र जी का ननिहाल है गांव कसेल, भगवान शिव का प्राचीन मंदिर सुशोभित

आम तौर पर माझा की धरती पूरी तरह से ऐतिहासिक है। इस क्षेत्र में 15 हजार की आबादी वाला गांव कसेल है जो भगवान श्री राम चंद्र जी का ननिहाल गांव है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 04:20 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 04:20 PM (IST)
श्री राम चंद्र जी का ननिहाल है गांव कसेल, भगवान शिव का प्राचीन मंदिर सुशोभित
श्री राम चंद्र जी का ननिहाल है गांव कसेल, भगवान शिव का प्राचीन मंदिर सुशोभित

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : आम तौर पर माझा की धरती पूरी तरह से ऐतिहासिक है। इस क्षेत्र में 15 हजार की आबादी वाला गांव कसेल है, जो भगवान श्री राम चंद्र जी का ननिहाल गांव है। भगवान शिव जी के जो चार प्राचीन मंदिर है, इनमें से एक मंदिर इसी गांव में है। यहां पर सावन के माह में मंदिर में शिवलिंग की लगातार सजावट की जा रही है।

मंदिर के साथ नानकशाही ईटों से बना एक पुराना विशाल तालाब भी है। कहा जाता है कि इस तालाब का निर्माण मुगल काल के समय हुआ था। काशी, काबा और कलानौर के अलावा जो चौथा प्राचीन मंदिर है, वह इसी गांव (कसेल) में है। इस गांव का इतिहास भगवान श्री राम चंद्र जी से भी जुड़ा हुआ है। क्योंकि यह गांव भगवान श्री राम चंद्र जी का ननिहाल गांव है। इस गांव में भगवान श्री राम चंद्र जी की माता कौश्लया रहती थी। इस नगर का पुराना नाम कौशल है। माता कौशलया जी के पिता जी की राजधानी इसी गांव में होती थी।

तलाब के पानी से निरोग हुए थे महाराजा रंजीत सिंह

गांव कसेल स्थित प्राचीन मंदिर की प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष धर्मपाल, सुरजीत बॉबी, कुलदीप शर्मा, राधे श्याम, विनोद कुमार ने बताया कि शिव मंदिर के पुरातन तालाब का इतिहास महाराजा रंजीत सिंह से भी जुड़ा हुआ है। महाराजा रंजीत सिंह को पेट का रोग था। वह प्राचीन मंदिर के तालाब के पानी से निरोग हुए थे। जिसके बाद लंबे समय तक महाराजा रंजीत सिंह के पीने लिए पानी इसी तालाब से गागर के माध्यम से ले जाया जाता था। यहां महंत शिवपुरी जी ने ली थी समाधी

सुरजीत बॉबी ने कहा कि मंदिर के 18वीं सदी के महंत शिवपुरी जी ने यहां पर जीते जी समाधी ली थी। महंत शिवपुरी जी के बाद महंत उमराओ गिर, काहन गिर, हीरा गिर, रतन गिर यहां के प्रबंध देखते रहे हैं। अब मौजूदा महंत उनके पिता धर्मपाल है। सावन में यहां पर भक्तों का जमावड़ा रहता है। भक्तों द्वारा पुरातन शिवलिंग की फूलों से सजावट की गई है।

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