सूखा रह गया तरनतारन : 1977 से इस हलके से कांग्रेस के विधायक को कैबिनेट में नहीं मिली जगह

तरनतारन जिले के चारों हलकों के विधायक कांग्रेस पार्टी से हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 07:18 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 04:57 AM (IST)
सूखा रह गया तरनतारन : 1977 से इस हलके से कांग्रेस के विधायक को कैबिनेट में नहीं मिली जगह
सूखा रह गया तरनतारन : 1977 से इस हलके से कांग्रेस के विधायक को कैबिनेट में नहीं मिली जगह

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन :

तरनतारन जिले के चारों हलकों के विधायक कांग्रेस पार्टी से हैं। हलका तरनतारन से डा. धर्मबीर अग्निहोत्री, पट्टी से हरमिदर सिंह गिल, खडूर साहिब हलके से रमनजीत सिंह सिक्की, खेमकरण से सुखपाल सिंह भुल्लर विधायक हैं। परंतु कांग्रेस की कैबिनेट में चारों में से किसी एक भी विधायक को नुमाइंदगी नहीं मिल पाई।

तरनतारन हलके के पिछले आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्षो से इस हलके को सरकारें नजरअंदाज करती रही हैं। 1972 से 2017 तक विधानसभा के दस बार चुनाव हुए। 1972 में कांग्रेस के दिलबाग सिंह डालेके विजयी रहे थे। तब उनको मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह की सरकार ने राज्य ट्रांसपोर्ट मंत्री बनाया था। मगर उसके बाद से तरनतारन हलके से कांग्रेस के किसी भी विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं दी गई।

1977 में शिअद से बागी होकर मनजिदर सिंह आजाद चुनाव लड़े और जीते। परंतु शिअद की सरकार बनी। 1980 में शिअद के प्रेम सिंह लालपुरा चुनाव जीते। परंतु राज्य में सरकार दरबारा सिंह (कांग्रेस) की बनी। 1985 में शिअद के प्रेम सिंह लालपुरा विधायक बने और अकाली दल की सरकार बनी। परंतु लालपुरा को मंत्री नहीं लिया गया था। 1992 में शिअद के बायकाट के दौरान कांग्रेस के दिलबाग सिंह डालेके निर्विरोध विधायक बने पर उनको कैबिनेट में शामिल नहीं किया। मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के बाद हरचरन सिंह बराड़ मुख्यमंत्री बने। परंतु डालेके को फिर नजरअंदाज किया। आखिर रजिदर कौर भट्ठल मुख्यमंत्री बनी तो डालेके को तीन माह के लिए विधानसभा का स्पीकर बनाया गया। 1997 में शिअद के प्रेम सिंह लालपुरा विजयी रहे व बादल की सरकार में उनको मंत्री नहीं बनाया। 2002 में शिअद से बागी होकर हरमीत सिंह संधू ने आजाद चुनाव जीता। परंतु राज्य में सरकार कांग्रेस की बनी। 2007 के चुनाव में हरमीत संधू शिअद की तरफ से चुनाव जीते। उनको बादल की सरकार में चीफ पार्लियामेंट्री सचिव (सीपीएस) बनाया गया। 2012 में संधू ने फिर जीत दर्ज करवाई और दूसरी बार बादल की सरकार में सीपीएस बने। 2017 के चुनाव में डा. धर्मबीर अग्निहोत्री ने जीत दर्ज करवाई। परंतु कांग्रेस की सरकार में उन्हें इसलिए मंत्री नहीं बनाया गया क्योंकि वह पहली बार विधायक बने थे। वहीं शनिवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की ओर से घोषित की गई कैबिनेट में भी तरनतारन हलके के विधायक को जगह नहीं मिली और यह हलका फिर से नजरअंदाज कर दिया गया। तरनतारन जिले से चारों विधायक और सांसद कांग्रेस पार्टी के

तरनतारन जिले से चारों हलकों के विधायक कांग्रेस पार्टी से है। हलका तरनतारन से डा. धर्मबीर अग्निहोत्री, पट्टी से हरमिदर सिंह गिल, खडूर साहिब हलके से रमनजीत सिंह सिक्की, खेमकरण से सुखपाल सिंह भुल्लर विधायक हैं। परंतु कांग्रेस की कैबिनेट में चारों में से किसी एक भी विधायक को नुमाइंदगी नहीं मिल पाई।

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