माझे के जरनैल को रास नहीं आई शिअद की सरदारी

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह तरनतारन : पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के करीबी माने जाते माझे के जरनैल जत्थेदार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा को शायद शिरोमणि अकाली दल की सरदारी रास नहीं आई। बढ़ती उम्र का वास्ता देते पार्टी की कोर कमेटी और वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद से त्याग पत्र देने वाले ब्रह्मपुरा ने कहा कि किसी भी कीमत पर खडूर साहिब के सांसद के तौर पर त्याग पत्र नहीं देंगे। हालाकि भविष्य में उन्होंने कोई भी चुनाव लड़ने से इंकार किया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Oct 2018 01:15 AM (IST) Updated:Wed, 24 Oct 2018 01:15 AM (IST)
माझे के जरनैल को रास नहीं आई शिअद की सरदारी
माझे के जरनैल को रास नहीं आई शिअद की सरदारी

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के करीबी माने जाते माझे के जरनैल जत्थेदार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा को शायद शिरोमणि अकाली दल की सरदारी रास नहीं आई। बढ़ती उम्र का वास्ता देते पार्टी की कोर कमेटी और वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद से त्याग पत्र देने वाले ब्रह्मपुरा ने कहा कि किसी भी कीमत पर खडूर साहिब के सांसद के तौर पर त्याग पत्र नहीं देंगे। हालाकि भविष्य में उन्होंने कोई भी चुनाव लड़ने से इंकार किया है।

सिमरनजीत सिंह मान के करीबी रहे रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का दामन थामते शिरोमणि अकाली दल को मजबूत बनाने में कसर नहीं छोड़ी। जिसके बदले पार्टी ने उनको चार बार विधायक बनाया। 1997 और 2007 में प्रकाश सिंह बादल की सरकार में रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा कैबिनेट मंत्री बने। नई हलकाबंदी के बाद विधान सभा हलका नौशहरा पन्नूआ खत्म हो गया और रिर्जव हलका खडूर साहिब जनरल कर दिया गया। 2012 के चुनाव में ब्रह्मपुरा को पार्टी ने खडूर साहिब से टिकट दिया। सियासत में नए कांग्रेसी रमनजीत सिंह सिक्की के हाथों माझे के जरनैल जत्थेदार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा की हार हुई। हार के बाद राजनीति से संन्यास लेने की सोच रहे ब्रह्मपुरा को प्रकाश सिंह बादल ने उन्हें दोबारा सरगर्म राजनीति में ला दिया। 2014 के लोक सभा चुनाव में जत्थेदार ब्रह्मपुरा को खडूर साहिब हलके चुनावी रण में उतारा गया। पौने 2 लाख मतों के भारी अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी हरमिंदर सिंह गिल को हरा कर सांसद चुने गए। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के करीबियों में माने जाते जत्थेदार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा शिअद की पीएससी (कोर कमेटी) के सदस्य होने के साथ साथ शिअद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष थे। मंगलवार को ब्रह्मपुरा ने दोनों पदों से त्याग पत्र देकर शिअद को सकते में डाल दिया।

लोक सभा से त्याग पत्र देने का सवाल ही नहीं

दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए ब्रह्मपुरा ने बढ़ती उम्र वास्ता देकर कहा कि भविष्य में वह किसी भी तरह का चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालाकि उन्होंने लोक सभा की सदस्यता से त्याग पत्र देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे न ऐसा सोचा है और ना ही कोई सवाल पैदा होता है।

ब्रह्मपुरा के त्याग पत्र से फरजंद का सियासी भविष्य दांव पर

2015 में हुई धार्मिक बेअदबी के खिलाफ खडूर साहिब के कांग्रेसी विधायक रमनजीत सिंह सिक्की द्वारा त्याग पत्र दिया गया था। खडूर साहिब के उप चुनाव मौके जत्थेदार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा खडूर साहिब लोक सभा हलके से सांसद थे। ब्रह्मपुरा ने उप चुनाव में अपने भांजे रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा (गोद लिया बेटा) को विधान सभा की टिकट दिलाई थी। इस चुनाव में रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा ने जीत दर्ज करवाई थी। 2017 के चुनाव में रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा को कांग्रेस की और से रमनजीत सिंह सिक्की ने दूसरी बार मात दी। जत्थेदार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा के त्याग पत्र का असर उनके लड़के रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा के सियासी भविष्य पर सवालिया चिन्ह लगा सकता है। हालाकि सांसद ब्रह्मपुरा कहते है कि विधान सभा के चुनाव को बहुत समय बाकी है। अभी से चिंतन मंथन व बहस करना वाजिब नहीं।

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