पट्टी के गुरुद्वारा भट्ठ साहिब के प्रबंधन को लेकर दो निहंग गुट आमने-सामने

पट्टंी में स्थित गुरुद्वारा भट्ठ साहिब के प्रबंधन को लेकर दो गुट आमने-सामने हो गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 07:39 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 06:29 AM (IST)
पट्टी के गुरुद्वारा भट्ठ साहिब के प्रबंधन को लेकर दो निहंग गुट आमने-सामने
पट्टी के गुरुद्वारा भट्ठ साहिब के प्रबंधन को लेकर दो निहंग गुट आमने-सामने

जासं, तरनतारन : पट्टंी में स्थित गुरुद्वारा भट्ठ साहिब के प्रबंधन को लेकर दो गुट आमने-सामने हो गए हैं। आरोप है कि बाबा बिधी चंद संप्रदाय के मुखी बाबा अवतार सिंह के बेटे प्रेम सिंह ने साथी निहंग सिंहों को लेकर अपने चाचा बाबा गुरबचन सिंह और दादी दया कौर को गुरुद्वारा साहिब से निकालकर अपने कब्जे में प्रबंधन ले लिया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और वहां पर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है।

पट्टी शहर के गुरुद्वारा भट्ठ साहिब की सेवा बाबा बिधी चंद संप्रदाय की ओर से की जा रही थी। संप्रदाय के 11वें मुखी बाबा दया सिंह के देहांत के बाद उनके बड़े बेटे बाबा अवतार सिंह सुरसिंह को संप्रदाय का मुखी बना दिया गया। पट्टी के गुरुद्वारा भट्ठ साहिब के प्रबंधक संत सरूप सिंह का दो वर्ष पहले देहांत हो गया। इसके बाद बाबा अवतार सिंह के छोटे भाई गुरबचन सिंह और माता दया कौर ने गुरुद्वारा भट्ठ साहिब का प्रबंध ले लिया। गौर हो कि बाबा अवतार सिंह व बाबा गुरबचन सिंह के बीच संप्रदाय की जमीन को लेकर विवाद चला आ रहा है। यह विवाद स्थानीय अदालत में विचाराधीन भी है। गुरुद्वारा भट्ठ साहिब में शनिवार तड़के बाबा अवतार सिंह के बेटे बाबा प्रेम सिंह अपने साथी निहंगों समेत अपने चाचा गुरबचन सिंह व दादी दया कौर को गुरुद्वारा साहिब से निकालकर खुद काबिज हो गए। विरोध के दौरान कुछ राउंड फायर भी हुए। परंतु अधिकारिक तौर पर किसी ने पुष्टि नहीं की। मौके पर एसपी (सुरक्षा) बलजीत सिंह ढिल्लों कहते हैं कि मामले की जांच जारी है। दोनों गुटों से कहा गया है कि कानून हाथ में न लिया जाए। दोनों पक्षों ने ये कहा

बाबा प्रेम सिंह का कहना हैं कि संप्रदाय द्वारा ही गुरुद्वारा साहिब का प्रबंध देखा जा रहा है। यह सारी कार्रवाई कानून के दायरे में ही की गई है। माता दया कौर ने आरोप लगाया कि सियासी दखल पर यह कार्रवाई हुई है। इसलिए पड़ा गुरुद्वारा का नाम

सिख कौम में बाबा बिधी चंद जी का इतिहास गौरवमई है। बाबा बिधी चंद जी जलते हुए भट्ठे में गुरु जी के दुशाले लेकर बैठ गए थे। इस जगह पर गुरुद्वारा भट्ठ साहिब सुशोभित है।

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