जोशी के शिद में आने से हरमीत संधू से 13 वर्ष की कड़वाहट होगी दूर

पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी आने वाले दिनों में शिरोमणि अकाली दल बादल की तकड़ी थामने जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 18 Aug 2021 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 18 Aug 2021 06:00 AM (IST)
जोशी के शिद में आने से हरमीत संधू से 13 वर्ष की कड़वाहट होगी दूर
जोशी के शिद में आने से हरमीत संधू से 13 वर्ष की कड़वाहट होगी दूर

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : भाजपा के मंडल अध्यक्ष से सियासी सफर शुरू करने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी आने वाले दिनों में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) बादल की तकड़ी थामने जा रहे हैं। ऐसे में शिअद को माझा क्षेत्र में जहां मजबूती मिलेगी, वहीं शिअद से पूर्व सीपीएस हरमीत सिंह संधू के साथ उनकी 13 वर्ष पुरानी सियासी कड़वाहट भी अब दूर हो जाएगी।

वर्ष 2008 में कस्बा दोबुर्जी में भाजपा व शिअद समर्थकों के बीच खूनी झड़प हुई थी। इसके बाद अनिल जोशी व हरमीत सिंह संधू के बीच सियासी विरोध जारी रहा। देश भर में शिअद और भाजपा का गठजोड़ होने के बावजूद तरनतारन में दोनों पार्टियां आमने-सामने ही रही। 2015 के नगर कौंसिल चुनाव मौके अनिल जोशी गठजोड़ की सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री थे जबकि शिअद की अगुआई करने वाले हरमीत सिंह संधू सीपीएस थे। इस दौरान एसडीएम दफ्तर के बाहर जोशी के भाई राजा जोशी (पूर्व पार्षद) पर गोलियां चलाई गई थीं। इससे संधू और जोशी में तलखी बढ़ती रही। शिअद ने 2022 चुनाव के लिए तरनतारन से हरमीत सिंह संधू को प्रत्याशी बनाया है जबकि अनिल जोशी का परिवार भी यहीं रहता है। ऐसे में जोशी के पास अच्छा खासा वोटबैंक भी है। यह वोटबैंक 2017 के चुनाव में हरमीत संधू की हार का कारण बना था। अब अनिल जोशी की शिअद में ज्वाइनिंग होते ही तलखी कम हो सकती है। मजीठिया के दखल से दोनों डाल सकते हैं जफ्फी

गौर हो कि संधू के करीबी व जोशी के करीबियों के खिलाफ स्थानीय अदालत में धारा 307 का केस विचारधीन है। सूत्रों की मानें तो पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के दखल से अनिल जोशी व हरमीत सिंह संधू के बीच आने वाले दिनों में जफ्फी डाल सकते हैं। इसका सीधे तौर पर संधू को फायदा मिल सकता है। शिअद में बिना शर्त शामिल हो रहा: जोशी

पूर्व मंत्री अनिल जोशी का कहना है कि शिअद में बिना किसी शर्त शामिल हो रहे हैं। अब शिअद को मजबूत करने के लिए उन्हें जो भी करना पड़ेगा, वह करेंगे। पार्टी हाईकमान के आदेश को मानते हुए आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

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