असलहा लाइसेंस फर्जीवाड़ा : कई बार दर्ज हो चुकी है एफआइआर

। थाना सिटी की पुलिस द्वारा असले के लाइसेंसों में फर्जीवाड़े बाबत जो एफआइआर दर्ज की गई है वह पहली नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 07:56 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 07:56 PM (IST)
असलहा लाइसेंस फर्जीवाड़ा : कई बार दर्ज हो चुकी है एफआइआर
असलहा लाइसेंस फर्जीवाड़ा : कई बार दर्ज हो चुकी है एफआइआर

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : थाना सिटी की पुलिस द्वारा असले के लाइसेंसों में फर्जीवाड़े बाबत जो एफआइआर दर्ज की गई है, वह पहली नहीं है। बल्कि वर्ष 2006 में जब तरनतारन जिला बना था तो उस समय असलहे के लाइसेंसों में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। एडीसी द्वारा स्थानीय पुलिस समक्ष असलहे के फर्जीवाड़े बाबत एफआइआर दर्ज करवाई गई, जो ठंडे बस्ते में पड़ गई। इसके बाद कई ओर एफआइआर दर्ज हुई। यहां तक कि 2016 में विजिलेंस द्वारा मुकदमा दर्ज करके तेजी से जांच शुरू की गई, परंतु ये जांच फिर ढीली पड़ गई। अनुमान लगाया जाता है कि असलहा ब्रांच से जुड़े अमले के पीछे कुछ ऐसी सियासी ताकत है, जो बड़ी से बड़ी जांच को प्रभावित कर देती है।

तत्कालीन एडीसी (जनरल) कृपाल सिंह द्वारा असलहा लाइसेंस के फर्जीवाड़े की जब एफआइआर दर्ज की गई तो यहां पर तैनात अमला इधर से उधर हो गया। बाद में ये जांच ठंडे बस्ते में पड़ गई। 2012 में दोबारा असलहा लाइसेंसों का फर्जीवाड़ा सामने आया, जिसके बाद एफआइआर अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज की गई, जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। मई 2016 में जब दोबारा जांच शुरू हुई तो असलहा ब्रांच में अचानक आग लग गई। उस समय इस ब्रांच में 18 हजार असलहा लाइसेंसों का रिकार्ड था। मार्केट कमेटी कार्यालय के साथ उस समय डीसी दफ्तर चलाया जाता था, जिसकी उपर वाली मंजिल पर असलहा ब्रांच थी। रात को ढाई बजे असलहा ब्रांच में लगी आग की खबर चौकीदार अहमद रेडी ने डीसी बलविंदर सिंह धालीवाल को दी थी। जिसके बाद एडीसी बख्तावर सिंह, जीए अमरिंदर सिंह टिवाणा मौके पर पहुंचे और आग के मामले पर नई एफआइआर दर्ज करवाई गई। ये जांच जब किसी नतीजे पर नहीं पहुंची तो विजिलेंस ब्यूरो को ये मामला सौंपा गया। विजिलेंस ब्यूरो ने 2016 में एफआइआर-36 दर्ज करते रिकार्ड कब्जे में लिया। विजिलेंस की ओर से उक्त एफआइआर दर्ज किए को चार वर्ष का समय गुजर चुका है, परंतु अभी तक विजिलेंस न तो जांच रिपोर्ट तैयार कर पाई है और न ही अग्जनी की घटना को अंजाम देने वाले आरोपितों को नामजद किया जा पाया है। फोटो स्टेट वाला मनी है फर्जीवाड़े का सूत्रधार

असलहा ब्रांच के इंचार्ज करविंदर सिंह चीमा के अलावा जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स में फोटो स्टेट की अस्थायी दुकान चलाने वाले मनजिंदर सिंह उर्फ मनी निवासी गांव पंडोरी गोला के खिलाफ सोमवार की रात को पीओ स्टाफ के इंचार्ज सुखविंदर सिंह की ओर से एफआइआर-293 दफा 409, 419, 467, 468, 471, 471, 120बी आइपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस का दावा है कि असलहा ब्रांच में 200 से अधिक फर्जी लाइसेंस बनाए गए है। फोटो स्टेट की आर्जी दुकान करने वाला मनजिंदर सिंह उर्फ मनी मोटी रकम वसूलकर करविंदर सिंह चीमा से फर्जी लाइसेंस तैयार करवाता है। मनी का दखल असलहा ब्रांच में लगातार बढ़ता दिखाई दे रहा था, जिससे असलहा ब्रांच का स्टाफ भी आहत था।

कारगिल शहीद का भाई है करविंदर

सीमावर्ती गांव चीमा निवासी करविंदर सिंह को तरस के आधार पर सरकारी नौकरी मिली थी। करविंदर का भाई सतनाम सिंह कारगिल में शहीद हुआ था। परिवार को गैस एजेंसी, वित्तीय सहायता के साथ-साथ सरकारी नौकरी मिली थी। करविंदर सिंह चीमा का कई बार यहां से तबादला हुआ, परंतु कुछ देर बाद वे फिर इसी ब्रांच में बतौर हेड हो जाता है।

243 लाइसेंस हुए थे लापता

2017 के चुनावों से पहले विधानसभा हलका पट्टी और खेमकरण से संबंधित असलहे के 243 लाइसेंसों का मामला भी अब गरमा जाएगा। सूत्रों की मानें तो असलहा ब्रांच की ओर से उक्त लाइसेंस जारी कर दिए गए थे, परंतु लाइसेंस होल्डरों के पास ये लाइसेंस नहीं पहुंच पाए थे। असलहा ब्रांच के रिकार्ड में ऐसा कोई भी दस्तावेज नहीं है, जिससे साबित हो सके कि असलहा लेने वाले आवेदकों को लाइसेंस जारी करते समय उनसे रिसीविंग ली गई है। लाइसेंस न मिलने वाले लोग जब उपर तक शिकायत करने की बात करते थे तो उनको दोबारा लाइसेंस बनाकर देने का आश्वासन दिया जाता था। हालांकि करविंदर सिंह चीमा का कहना है कि मुझे बेवजह इस मामले में बिना वजह फंसाया जा रहा है, जबकि असलहा ब्रांच में कोई भी फर्जीवाड़ा नहीं हुआ। 13 गन हाउस का रिकार्ड लिया कब्जे में

करविंदर सिंह चीमा और मनजिंदर सिंह मनी के विरुद्ध एफआइआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने विभिन्न 13 गन हाउसों का रिकार्ड कब्जे में ले लिया है। सूत्रों की मानें तो कुछ ऐसे गन हाउस सामने आ रहे है, यहां पर करविंदर सिंह चीमा का काफी प्रभाव था। चीमा असलहा लाइसेंस जारी करने से पहले ग्राहक को अपनी पसंदीदा गन हाउस से असलहा लेने के लिए रजामंद करता था, जिसके बदले में उसे मोटी कमीशन भी मिलती थी। फर्जीवाड़े मामले का किया जाएगा भंड़ाफोड़ : एसएसपी

एसएसपी ध्रुमन एच निंबाले कहते हैं कि असलहा लाइसेंसों में फर्जीवाड़े का ये मामला काफी गंभीर है। इस मामले बाबत उच्च स्तर पर जांच शुरू कर दी गई है। फिलहाल करविंदर सिंह चीमा और उसका साथी मनजिंदर सिंह उर्फ मनी फरार है। एसएसपी निंबाले कहते है कि असलहे के फर्जीवाड़े मामले में पहले भी कई शिकायतें आ चुकी है। अब जल्द ही पूरे मामले का भंड़ाफोड़ दिया जाएगा।

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