शराब तस्करी के मामले में पुलिस की कमजोरी आई सामने
अवैध शराब की बरामदगी होने के बावजूद पुलिस कितनी गंभीर होता है यह यह इस मामले से पता चलता है।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : अवैध शराब की बरामदगी होने के बावजूद पुलिस कितनी गंभीर होती है इसकी मिसाल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) राजेश आहलूवालिया की अदालत द्वारा स्थानीय पुलिस को फटकार लगाते उन पांच आरोपितों को शराब मामले में डिस्चार्ज करने से मिलती है। इन पांच आरोपितों को वर्ष 2016,17 व 18 में अवैध शराब समेत गिरफ्तार किया गया था। परंतु लंबा समय गुजरने के बावजूद पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ अदालत में चालान तक पेश नहीं किया।
तरनतारन निवासी सकत्तर सिंह को छह बोतल अवैध शराब समेत अप्रैल 2016 में, सरवन भोलू को 200 लीटर एल्कोहल समेत मई 2017 में, आकाश राजपूत को 10 बोतल अवैध शराब समेत अक्टूबर 2017 में, सुखजिदर सेठी व बलजिदर कट्टा को 106 बोतल अवैध शराब समेत सितंबर 2018 में थाना सिटी की पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद पांचों आरोपितों ने अदालत से जमानत ले ली। परंतु पुलिस ने इन आरोपितों के खिलाफ तीन माह तक चालान नहीं पेश किया। आबकारी एक्ट की बात करें तो आबकारी एक्ट के मुताबिक एक वर्ष के भीतर हर हाल में आरोपितों खिलाफ अदालत में चालान पेश करना जरूरी होता है। परंतु पुलिस ने इस मामले में लापरवाही ही बरती व इतना समय गुजरने के बावजूद भी अदालत में चालान पेश नहीं किया। सीजेएम राजेश आहलूवालिया की अदालत में मंगलवार को पुलिस प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस अवैध शराब मामले में गंभीर दिखाई नहीं देती। जबकि आबकारी एक्ट तहत अपने आप एक्शन नहीं ले सकती। जिसके चलते अब आरोपितों को डिस्चार्ज करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
कोट
जहरीली शराब से जुलाई 2020 में जिले में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, इसके बावजूद पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी निभाना ठीक नहीं समझा। अगर पुलिस जहरीली शराब मामले से सबक सीखती तो स्थानीय अदालत द्वारा उक्त आरोपितों को डिस्चार्ज न किया जाता।
- अजयपाल सिंह सग्गू, एडवोकेट ---------------
आबकारी एक्ट में पुलिस कभी लापरवाही नहीं बरतती। अवैध शराब मामले में पांच आरोपितों के खिलाफ अदालत में चालान पेश क्यों नहीं किया गया इसकी जांच करवाई जाएगी। जांच में जो भी आरोपित पाया गया उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी। - उपिदरजीत सिंह घुम्मण, एसएसपी।