आरक्षित जमीन में प्लाट लेने के लिए कशमकश जारी, मजदूरों ने जताया रोष
नजदीकी गांव खेड़ीकलां के अनुसूचित वर्ग के मजदूरों द्वारा रिजर्व कोटे की जमीन में काटे हुए प्लाटों को गलत तरीके से ठेके पर दिए जाने का जोरदार विरोध किया है।
संवाद सूत्र, शेरपुर (संगरूर)
नजदीकी गांव खेड़ीकलां के अनुसूचित वर्ग के मजदूरों द्वारा रिजर्व कोटे की जमीन में काटे हुए प्लाटों को गलत तरीके से ठेके पर दिए जाने का जोरदार विरोध किया है। उन्होंने मांग की है कि प्लाटों की पक्के तौर पर निशानदेही कर अनुसूचित जाति वर्ग के परिवारों के हवाले किए जाएं।
इस संबंधी बसपा नेता मेजर सिंह, राजबीर सिंह, जसपाल सिंह, गुरमेल सिंह ने बताया कि सात वर्ष पहले गांव की ग्राम पंचायत ने रिजर्व कोटे की दो बीघा आठ बिसवे जमीन में से 24 परिवारों को दो-दो बिसवे के प्लाट काटकर दिए थे। इस संबंधी माल विभाग के कार्यालय के रिकार्ड में दर्ज है, लेकिन प्रत्येक वर्ष पंचायत रिजर्व कोटे की जमीन को ठेके पर देने के बाद प्लाटों की करीब दो बीघा आठ बिसवे जमीन ट्रैक्टर से जुता दी जाती है। उन्होंने कहा कि वह अपनी मलकियत लेने के लिए ब्लाक विकास व पंचायत अफसर शेरपुर को लिखती रूप में दे चुके हैं, परन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक प्रशासन उनके प्लांट की पक्की निशानदेही कर उनके हवाले नहीं करता तब तक पंचायती हिस्से की बोली नहीं होने दी जाएगी।
सरपंच मलकीत सिंह ने कहा कि रिजर्व जमीन में 40 वर्ष पहले कालोनियां काटी गई थीं। इस संबंधी उन्होंने पंचायत अफसर को लिखकर भेज दिया था। कानूनगो भुपिदर सिंह ने कहा कि मामले की जल्द जांच की जाएगी। उनके पास दो बीघा आठ बिसवे प्लांट की निशानदेही संबंधी दर्खास्त आ चुकी है। --------------------- कानून मुताबिक मालिकाना हक पाए जाने पर मजदूरों को कालोनियां जरूर दी जाएंगी। --जुगराज सिह, बीडीपीओ