शिष्य को हुआ अहंकार तो गुरु ने संभाला : महासाध्वी

जैन स्थानक में चल रही धर्मसभा दौरान श्री गुरु गोबिद सिंह जी महाराज ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Aug 2021 04:45 PM (IST) Updated:Fri, 27 Aug 2021 04:45 PM (IST)
शिष्य को हुआ अहंकार तो गुरु ने संभाला : महासाध्वी
शिष्य को हुआ अहंकार तो गुरु ने संभाला : महासाध्वी

जागरण संवाददाता, संगरूर : जैन स्थानक में चल रही धर्मसभा दौरान श्री गुरु गोबिद सिंह जी महाराज की चल रही कथा के बाकी हिस्से को कथन करते महासाध्वी समर्थ ने फरमाया कि कल की कथा में अपने परिजनों के साथ आए जोगा नाम के युवक को श्री गुरु गोबिद सिंह जी ने आशीर्वाद देकर रवाना कर दिया। छ वर्षों के बाद जोगा की शादी तय हुई। जब आनंद कारज चल रहे थे तो किसी ने जोगा से आकर कहा कि गुरु साहिब तुम्हे याद कर रहे हैं। जोगा उसी समय बीच में आनंद कारज छोड़कर चल पड़ा। रास्ते में उसे अहंकार हुआ कि वह कितना बड़ा शिष्य है। जो गुरु की एक आवाज पर शादी बीच में छोड़कर मिलने चल पड़ा है। चलते-चलते उसे रात हो गई। उसे एक वेश्या का कोठा दिखाई दिया। उसका मन डोल गया, लेकिन कोठे के बाहर एक पठान पहरेदार खड़ा था। उसने जोगा को तीन बार वापस लौटने के लिए कहा। जब नहीं माना तो पहरेदार ने उसे धक्का देकर दौड़ा दिया। सुबह जब गुरु साहिब के पास पहुंचा तो गुरु साहिब कमरे में आराम कर रहे थे। जगाने पर देखा कि उनकी आंखे लाल थी। जोगा ने कारण पूछा तो गुरु साहिब ने बताया कि उन्होंने उसे नर्क में गिरने से बचाने के लिए पूरी रात वेश्या के कोठे के समक्ष पहरेदारी की। यह सुनकर जोगा रोने लगा। उसे अपने आप से घृणा होने लगी। लेकिन गुरु साहिब ने उसे अपने गले लगा लिया।

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